झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता पर हुए हमले के खिलाफ न्यायिक कार्य से अलग रहे राज्यभर के अधिवक्ता

News Aroma Media

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता हेमंत शिकरवार पर हुए हमले के खिलाफ राज्य भर के अधिवक्ता मंगलवार को न्यायिक कार्य से दूर रहे।

रांची सहित अन्य जिलों के अधिवक्ता किसी भी न्यायालय में उपस्थित नहीं हो रहे हैं।

झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सभी सदस्यों की आपातकालीन बैठक में हुए निर्णय के आलोक में रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने भी एक फरवरी को अपने आप को न्यायिक कार्यों से दूर रखने का निर्णय किया है।

रांची सिविल कोर्ट के बाहर कई ऐसे फरियादी भी अपने मुकदमों की सुनवाई के लिए पहुंचे थे, जिन्हें अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार की जानकारी नहीं थी। ऐसे लोगों को बैरंग ही वापस लौटना पड़ा।

अधिवक्ताओं के कार्य बहिष्कार से राज्यभर में न्यायिक कार्यों की रफ्तार लगभग थम सी गई है। झारखण्ड स्टेट बार काउंसिल के प्रवक्ता और रांची जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय विद्रोही ने अधिवक्ता हेमंत शिकरवार पर हुए हमले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि एक के बाद एक अधिवक्ता हिंसा के शिकार हो रहे हैं और ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।

राज्य में वकीलों की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं होना इन हमलों के पीछे एक बड़ी वजह है। अगर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं होगा तो वकीलों के साथ हिंसक घटनायें होती रहेंगी।

इसलिए राज्य के सभी वकीलों को एकजुट होकर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की लड़ाई को अंतिम अंजाम तक लड़ना होगा।

दूसरी ओर झारखंड स्टेट काउंसिल के आह्वान पर राज्य के लगभग 35 हजार अधिवक्ता अदालती कार्यों में हिस्सा नहीं लिये।

अधिवक्ता लिपिक संघ के अध्यक्ष डीसी मंडल ने बताया कि झारखंड स्टेट बार काउंसिल के निर्णय के समर्थन में अधिवक्ता लिपिक झारखंड हाई कोर्ट में केस फाइलिंग, एफिडेविट सहित अन्य कार्यों से अलग रहे।

उल्लेखनीय है कि शनिवार को स्टेट बार काउंसिल के सदस्य हेमंत शिकरवार के साथ हज़ारीबाग में मारपीट हुई थी। मारपीट में वह घायल हो गए थे।

पूरे घटना के पीछे की मुख्य वजह भूमि से संबंधित विवाद बताया जा रहा है।

इस घटना के बाद रविवार को काउंसिल ने यह निर्णय किया था कि झारखंड के सभी अधिवक्ता एक फरवरी को न्यायिक कार्य से अलग रहेंगे एवं आगे काले रिबन पहनकर अपना विरोध जतायेंगे।