रांची : स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह (Arun Kumar Singh) ने कहा कि माइक्रोप्लान (Microplan) के साथ काम करने पर मलेरिया मुक्त भारत होगा।
उन्होंने कहा कि माइक्रोप्लान के साथ काम करने पर हम वर्ष 2027 तक जीरो केस और 2030 तक मलेरिया मुक्त भारत (Malaria Free India) बना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हम अपने क्षेत्रों से मलेरिया को खत्म करने के सामान्य उद्देश्य की दिशा में नौ राज्यों की ओर से की गई महत्वपूर्ण प्रगति की समीक्षा और निगरानी करने के लिए एकत्र हुए हैं।
उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए अब तक की गई प्रगति पर सामूहिक रूप से विचार करने, एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने और मलेरिया मुक्त भविष्य के लिए आगे बढ़ने का रास्ता तैयार करने का अवसर है। सिंह शुक्रवार को कैपिटल हिल में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारे सामने एक महत्वपूर्ण कार्य है,अपने प्रयासों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करना और आगे बढ़ने की योजना बनाना। इस अवधि के दौरान हमारी चर्चाएं, बहसें और विचारों का आदान-प्रदान एक प्रभावी रोडमैप का आधार बनेगा जो हमारे राज्यों को मलेरिया मुक्त वातावरण की दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है।
डॉ राजीव मांझी ने कहा…
उन्होंने कहा कि हमें विभिन्न राज्यों के विशेषज्ञों, हितधारकों और प्रतिनिधियों की उपस्थिति का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, हमें इस मंच का उपयोग नए सहयोग बनाने और अपनी कार्यान्वयन रणनीतियों को मजबूत करने के लिए करना चाहिए।
मौके पर केंद्रीय संयुक्त सचिव स्वास्थ्य विभाग डॉ राजीव मांझी (Dr Rajeev Manjhi) ने कहा कि मिरजोरम, हिमाचर प्रदेश, अरुणाचर प्रदेश को मलेरिया उन्मूलन की दिशा में ज्यादा काम करने की जरूरत है।
उन्होंने झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम और खूंटी में भी मलेरिया प्रसार की दिशा में सही रणनीति के साथ काम करने की दिशा में बल दिया। NVBDCP की केंद्रीय निदेशक तनु जैन ने कहा कि यह मीटिंग ऐसे समय में हो रही है जब देश में कई राज्य मलेरिया की विभिषिका से जूझ रहे हैं, यह समय बेहतर काम करने वाले राज्यों में किए जा रहे नवाचार को साझा करने का अवसर है।
मौके पर राष्ट्रीय वैक्टर बोन डीजीज कार्यक्रम (National Vector Bone Disease Program) के राज्य नोडल पदाधिकारी डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह, NVBDCP की केंद्रीय संयुक्त निदेशक डॉ रिंकू शर्मा, राष्ट्रीय सलाहकार डॉ सीएस अग्रवाल, डेवलपमेंट पार्टनर्स सहित विभिन्न राज्यों के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, परामर्शी और उनकी टीम शामिल थे।