रांची: झारखंड विधानसभा में बजट सत्र के नौवें दिन बुधवार को ध्यानाकर्षण के दौरान विधायक मथुरा महतो ने शिक्षकों के गृह जिले में स्थानांतरण से संबंधित सवाल किया।
इस पर प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने जवाब दिया कि जो नियुक्तियां हुई हैं वे जिलावार रोस्टर के आधार पर ही हुई थीं।
उन्होंने कहा कि सरकार एक पोर्टल बना रही है, जिसके माध्यम से स्थानांतरण के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों पर विचार किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि यह देखा जाएगा कि किसका स्थानांतरण कितना जरूरी है।
सब कुछ देखकर निर्णय किया जाएगा लेकिन यह विशेष परिस्थितियों में किया जाएगा। फिलहाल, यह पोर्टल ट्रायल पर है।
उन्होंने कहा कि सभी शिक्षकों को गृह जिले में स्थानांतरण की सुविधा दी जाएगी तो बड़ी असमानता उत्पन्न हो जाएगी।
सभी लोग रांची, जमशेदपुर और धनबाद जैसी जगह पर रहना चाहेंगे।
ऐसे में कई जिलों में आवश्यकता से अधिक शिक्षक हो जाएंगे और कहीं बहुत कम हो जाएंगे।
इस पर विधायक मथुरा महतो ने कहा कि पहले तो पुरानी व्यवस्था को शिथिल करना होगा, तब तो पोर्टल के माध्यम से कुछ होगा।
इस पर मंत्री ने कहा कि शिथिल कर देने से स्थिति असहज हो जाएगी।
पोर्टल के माध्यम से आवेदन किये जाएंगे तो सरकार अग्रेतर कार्रवाई करेगी।
इस जवाब से सदन के अधिकतर विधायक असंतुष्ट दिखे और दूसरी व्यवस्था तय करने को कहा।
इस पर आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार विचार करेगी कि क्या किया जा सकता है।
गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि पोर्टल के माध्यम से आवेदन होने पर शिक्षकों का स्थानांतरण अधिकारियों की रहमो-करम पर होगा। ऐसे में दूसरी अन्य व्यवस्था लागू की जानी चाहिए।
बंधु तिर्की ने कहा कि कई ऐसे मामले हैं कि पति किसी जिले में है, पत्नी किसी अन्य जिले में।
ऐसे मामलों में सरकार को स्थानांतरण पर विचार करना चाहिये।
विधायक अमित यादव ने कहा कि ऐसी व्यवस्था नहीं होने से बोकारो, धनबाद, रांची और हजारीबाग के मूलवासी शिक्षकों को साहेबगंज-दुमका में स्थानीय भाषा में पढ़ाने में दिक्कत हो रही है।
बच्चों के भविष्य का सवाल है। इसलिए स्थानांतरण पर विचार होना चाहिए।