रांची: चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा कोषागार (आरसी 47) मामले में रांची सीबीआई की विशेष न्यायालय में शुक्रवार को सुनवाई हुई। मामले की सीबीआई की विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत में हुई।
इस दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने लालू प्रसाद यादव से जुड़े चारा घोटाले के पशुपालन विभाग के निदेशक स्वी. श्याम बिहारी सिन्हा की ओर से किये गये काम को बताया गया। साथ ही लालू और उनके सम्बंध के बारे में अदालत को बताया गया।
सीबीआइ ने कोर्ट में बहस के दौरान कहा कि लालू प्रसाद की चार बेटियां बिशप वेस्टकोट स्कूल में पढ़ती थी।
उसके नामांकन फार्म पर श्याम बिहारी सिंह का नाम अंकित है।
साथ ही रेफरेंस के तौर पर तत्कालीन मंत्री इल्यास अंसारी और सूरज प्रसाद का नाम अंकित है।
सूरज प्रसाद ने अपनी गवाही में बताया कि उसने मो. इल्यास हुसेन और अपना नाम आपूर्तिकर्ता मो. सईद के कहने पर दिया था।
सीबीआइ कोर्ट में विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने गवाहों के बयान को पढ़कर सुनाया।
उन्होंने डीपीएस चांडक के गवाही के कुछ अंश को पढ़कर सुनाया। इसमें उन्होंने बताया कि फर्जी आपूर्ति आदेश के द्वारा जो रुपया प्राप्त होते थे। उसका बंटवारा किस प्रकार होता है।
20 प्रतिशत आपूर्तिकर्ता को मिलता था, 30 प्रतिशत डीडीओ(आय व्यय पदाधिकारी) जिसमें डॉक्टर, स्टोर कीपर और उनके ऑफिस के कर्मचारियों के बीच पैसा बंटता था।
पांच प्रतिशत कोषागार, पांच प्रतिशत क्षेत्रीय पशुपालन, पांच प्रतिशत क्षेत्रीय निदेशालय के कर्मचारियों, पांच प्रतिशत बजट ऑफिसर को, 30 प्रतिशत श्याम बिहारी और कृष्ण मोहन सिंहा आपस में बांटते थे।
उल्लेखनीय है कि चारा घोटाला से जुड़ा हुआ सबसे बड़ा मामला है जिसमें लगभग 139 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध निकासी का आरोप है।
इस मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सहित 111 आरोपी शामिल है।