अलकतरा घोटाले में 28 साल बाद फैसला, बिहार के पूर्व मंत्री समेत 5 दोषी करार

वहीं, मामले में ट्रायल फेस कर रहे सात आरोपितों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में 28 साल बाद मुकदमे से बरी कर दिया गया। इनमें केदार पासवान, गणपति रामनाथ, शीतल प्रसाद माथुर, तरुण कुमार गांगुली, रंजन प्रधान, शोभा सिन्हा और महेश चंद्र अग्रवाल शामिल हैं

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Tar Scam: बहुचर्चित अलकतरा घोटाले (Tar Scam) में 28 साल बाद CBI की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है।

विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने बिहार के पूर्व मंत्री इलियास हुसैन (Ilyas Hussain) सहित पांच आरोपितों को तीन-तीन साल की सजा और 15-15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सजा पाने वालों में इलियास हुसैन, शहाबुद्दीन बेग, पवन कुमार अग्रवाल, अशोक कुमार अग्रवाल और विनय कुमार सिन्हा शामिल हैं।

सात आरोपितों को मिली राहत

वहीं, मामले में ट्रायल फेस कर रहे सात आरोपितों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में 28 साल बाद मुकदमे से बरी कर दिया गया। इनमें केदार पासवान, गणपति रामनाथ, शीतल प्रसाद माथुर, तरुण कुमार गांगुली, रंजन प्रधान, शोभा सिन्हा और महेश चंद्र अग्रवाल शामिल हैं। अदालत ने बीते 22 मार्च को दोनों पक्षों की अंतिम बहस पूरी होने के बाद फैसले की तारीख निर्धारित की थी।

1994 में हुआ था घोटाला, 1997 में हुआ था खुलासा

साल 1994 के घोटाले का पर्दाफाश 1997 में हुआ। इसके बाद CBI ने मंत्री सहित अन्य अधिकारियों और आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच प्रारंभ की थी। मामला हजारीबाग के रोड निर्माण से जुड़ा हुआ था।

घोटाले की पूरी कहानी

कुल 27.70 लाख रुपये का घोटाला किया गया था। 510 मीट्रिक टन अलकतरा की सप्लाई आरसीडी हजारीबाग (RCD Hazaribagh) को करनी थी, लेकिन सप्लाई नहीं की गई। इसे सिर्फ कागजों में दर्शाया गया। मामले में पवन करियर नाम की कंपनी से अलकतरा सप्लाई किए जाने के फर्जी पेपर बनवाए गए थे।

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