रांची : झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन सोमवार को झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) पीटी के रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर विधानसभा में विपक्ष के आरोपों का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि पहली बार जेपीएससी में बड़े पैमाने पर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अत्यंत पिछड़ा वर्ग के बच्चे पास हुए हैं। सामान्य कोटे में भी आरक्षित वर्ग के बच्चे पास हुए हैं।
इसके कारण इन मनुवादी लोगों के पेट में दर्द हो रहा है।
‘ये भाड़े के लोगों से आंदोलन करा रहे हैं, विहिप के युवाओं को आंदोलन में बैठाते हैं’हेमंत सोरेन ने कहा, “ये भाड़े के लोगों से आंदोलन करा रहे हैं।
आंदोलन करनवाले को अनाज पहुंचाते हैं। विश्व हिन्दू परिषद के युवाओं को आंदोलन में बैठाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्होंने तो इतने पाप किये हैं कि इनका ठीकरा हम अपने कंधे पर ढो रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि पहली बार जेपीएससी के इतिहास में इतने बड़े पैमाने पर आदिवसी, दलित, पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों ने बड़े पैमाने पर अपना किस्मत आजमाया।
इतिहास में पहली बार इतनी संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से आवेदन को नि:शुल्क कर देने का लाभ अभ्यर्थियों ने उठाया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जेपीएससी पूरी तरह से स्वतंत्र संस्थान है। इस पर सरकार का कोई दबाव नहीं है। सरकार ने संस्थान के कार्यों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है।
यहां के 81 विधायकों में से कोई भी इसकी पुष्टि कर दे, तो मान जायें कि परीक्षा को टेंपर किया गया है या टेंपर करने की कोशिश की गयी है।”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को जेपीएससी का मतलब भी पता नहीं है। उन्होंने कहा कि जेपीएससी का हश्र है कि कुछ अभी जेल में हैं।
कुछ की सीबीआई जांच चल रही है। जांच के क्रम में ही उनकी नियुक्ति करा दी गयी है। ये पांच साल में परीक्षा भी नहीं करा पाये और अब आरोप लगा रहे हैं।