रांची : भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि झारखंड में राजकोषीय घाटा कुल व्यय का 21 प्रतिशत पहुंच गया है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन कैग द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए पेश वित्त लेख में यह खुलासा हुआ है।
कैग रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है कि वर्ष 2020-21 के दौरान राजस्व घाटा 3,113 करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 1,41,911 करोड़ रुपये सकल राज्य घरेलू उत्पाद का क्रमशः एक और पांच प्रतिशत दर्शाता है। वहीं राजकोषीय घाटा कुल व्यय का 21 प्रतिशत है।
कैग रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 के लिए कुल प्राप्तियां 71,110 करोड़ रुपये थीं। इस दौरान पिछले वर्ष 2019-20 की तुलना में राजस्व संग्रह में करीब सात प्रतिशत कमी आयी।
वर्ष 2020-21 के दौरान सहायतार्थ अनुदान के अंतर्गत कुल 11,993 करोड़ रुपये रहे।
राज्य के 16 विभागों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 357 संक्षिप्त आकस्मिक विपत्रों के विरुद्ध सरकारी लेखे से 1,191.15 करोड़ रुपये का आहरण किया, लेकिन वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के पहले 1062.21 करोड़ रुपये की राशि के 337 विस्तृत आकस्मिक विपत्रों को जमा नहीं किया गया।
इस संबंध में ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया गया कि 1062.21 करोड़ रुपये की राशि वास्तव में वित्तीय वर्ष के दौरान उस प्रयोजन के लिए व्यय की गयी, जिसके लिए विधानसभा द्वारा स्वीकृत-अधिकृत की गयी थी।
इसके अतिरिक्त वर्ष 2019-20 तक 4956.68 करोड़ रुपये की राशि का 17,935 आकस्मिक विपत्र 31 मार्च 2021 तक बकाया था, आहरित अग्रिमों, जिसे लेखाबद्ध नहीं किया गया, अपव्यय, दुर्विनियोजन और भ्रष्टाचार की संभावना को बढ़ाना है।
कैग रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि वर्ष 2020-21 के दौरान 14 विभागों द्वारा प्रदान किये गये सहायक अनुदान के विरुद्ध 18,734.70 करोड़ रुपये की राशि का बकाया 4749 उपयोगिता प्रमाणपत्रों को राज्य के निकायों और प्राधिकरणों द्वारा समर्पित नहीं किया गया। इस संबंध में ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया गया कि इस राशि को वास्तव में उस प्रयोजन के लिए व्यय किया गया है, जिसके लिए विधानसभा द्वारा स्वीकृत किया गया था।