रांची: रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि राज्य सरकार के महाधिवक्ता का मंतव्य उनका अपना है। यह कोई कानून नहीं है, जिसका अनुपालन करने के लिए मैं बाध्य हूं।
मेयर ने शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि महाधिवक्ता ने झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 पर जो मंतव्य दिए हैं, वह सीधे तौर पर संवैधानिक अधिकार व लोकतंत्र की हत्या है। मेरे लिए झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 ही सर्वोपरि है।
उन्होंने कहा कि धारा 74 के तहत महापौर को निगम परिषद और स्थाई समिति की बैठक आहूत करने, तिथि एवं समय निर्धारित करने का अधिकार है।
धारा-75 के तहत बैठक की सूचना तथा कार्यों की सूची को कम से कम 72 घंटे पूर्व प्रत्येक पार्षद को भेजी जाएगी।
धारा-76 के तहत आपातकालीन बैठक और एजेंडा तय करने का अधिकार भी महापौर को ही दिया गया है।
धारा-77 के पारा छह और सात के तहत महापौर, अध्यक्ष के अनुमति से ही किसी एजेंडा पर चर्चा और निष्पादन किया जाएगा।
धारा-78 के तहत नगरपालिका के प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता महापौर ही करेंगे।
धारा-87 के तहत कार्यवृत्त का परिचालन एवं निरीक्षण महापौर के हस्ताक्षर करने के बाद राज्य सरकार एवं सभी पार्षदों को सात दिनों के भीतर परिचालित किया जाएगा।
केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं को समय पर पूरा कराने की मुझ पर भी जिम्मेदारी
उन्होंने कहा कि रही बात समीक्षा करने और अधिकारियों को स्पष्टीकरण करने की तो यह मेरा संवैधानिक अधिकार है।
नगर निकायों में मेयर को शो केस की शोभा बढ़ाने के लिए आम जनता ने नहीं चुना है।
यदि नगर आयुक्त को पत्राचार कर जवाब मांगना मेयर एवं नगर आयुक्त के बीच विवाद का कारण है तो मैं आने वाले समय में भी उनसे संबंधित विषयों पर जवाब मांगती रहूंगी।
झारखंड नगरपालिका अधिनियम के तहत मुझे रांची नगर निगम से संबंधित कार्यों की मॉनिटरिंग करने का अधिकार है।
केंद्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं को समय पर पूरा कराने की मुझ पर भी जिम्मेदारी है।
राज्य सरकार से आग्रह करती हूं कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के तहत दिए गए अधिकारों को गलत तरीके से परिभाषित कर मेयर को दिए गए संवैधानिक अधिकारों का हनन करने का प्रयास न करें।
नगरपालिका अधिनियम के तहत नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों को दिए गए संवैधानिक अधिकार का सम्मान करें।
नगर विकास विभाग के निर्देश पर रांची नगर निगम क्षेत्र में कई कार्य निगम परिषद की स्वीकृति के बिना कराए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि अब इन कार्यों से संबंधित राशि के भुगतान में समस्या उत्पन्न हो रही है।
जहां तक मुझे जानकारी मिली है, संबंधित कार्यों के लिए करोड़ो रुपये का भुगतान किया जाना है।
इससे यह स्पष्ट है कि निगम परिषद को पंगु बनाकर भ्रष्टाचार का खेल खेलने की तैयारी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि मेयर होने के नाते मैं अपने हक एवं अधिकार के लिए हाई कोर्ट की शरण में जाऊंगी। सोमवार को इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में सामूहिक याचिका दायर की जाएगी।
प्रेसवार्ता में हजारीबाग नगर निगम की महापौर रोशनी तिर्की, खूंटी नगर पंचायत के अध्यक्ष अर्जुन पाहन, चतरा नगर परिषद गुंजा देवी आदि उपस्थित थे।