रांची: रिटायरमेंट के आठ साल बाद आरोप पत्र भेजने की वजह से झारखंड प्रशासनिक सेवा (Jharkhand Administrative Service) के अधिकारी के खिलाफ लगे आरोपों से उन्हें मुक्त कर दिया गया। इस संबंध में कार्मिक प्रशासनिक सुधार राजभाषा विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है।
सेवानिवृत्त झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी विजय कुमार सिंह (Vijay Kumar Singh) के खिलाफ पलामू के लेस्लीगंज में प्रखंड विकास पदाधिकारी के पद पर रहते हुए मनरेगा योजना में पिपरा खुर्द पंचायत ग्राम किरतो में राजेंद्र दुबे के घर से हंस धारा सिवान तक ग्रेड वन पथ निर्माण योजना में 2,49,073 रुपये की फर्जी निकासी करने संबंधित आरोप 17 मई, 2019 को उपायुक्त पलामू के द्वारा भेजा गया।
पूरे मामले पर संचिका अस्त करने का निर्णय
आरोपों के लिए राज्य सरकार ने 25 नवंबर, 2019 को ही विजय कुमार सिंह से स्पष्टीकरण की मांग की। इसके अनुपालन में उन्होंने स्पष्टीकरण किया और बताया कि वह 28 फरवरी, 2011 को ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में पेंशन नियमावली 1950 की धारा 43 के अनुसार उनके विरुद्ध आरोप पत्र का गठन नहीं किया जा सकता है।
राज्य सरकार (State Government) ने इसके बाद स्पष्टीकरण और उन पर लगे आरोपों की समीक्षा की और पाया कि आरोप पत्र उनकी सेवा से रिटायर होने के आठ वर्ष बाद प्राप्त हुआ है।
इसलिए उनके खिलाफ आरोप पत्र गठित नहीं किया जा सकता। ऐसे में इसे काल बाधित मानते हुए पूरे मामले पर संचिका अस्त करने का निर्णय लिया है।