रांची: सरकारी स्कूल के क्लर्क की नियुक्ति को अवैध बताते हुए काम से हटाये जाने के मामले पर झारखंड हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है।
हाईकोर्ट में शुक्रवार को मामले की सुनवाई जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत में हुई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकार ने कोर्ट ने गलत बयान दिया है।
बयान के कारण पूर्व में दायर अवमानना याचिका को कोर्ट ने निष्पादित कर दिया। ऐसे में अगली सुनवाई में शिक्षा सचिव को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 11 फरवरी को होगी।
उल्लेखनीय है कि मामला धनबाद से जुड़ा है। साल 1993 में चंद्रभूषण पाठक को क्लर्क पद पर नियुक्त किया गया। साल 1997 में पाठक को यह कहते हुए पद मुक्त किया गया कि उनकी नियुक्ति गलत तरीके से हुई थी।
पहले भी मामले में याचिका दायर की गयी थी। इस पर सरकार ने कोर्ट से कहा था कि पाठक की बहाली की जायेगी। बहाली नहीं होने पर मामले में फिर से याचिका दाखिल की गयी।
क्या है मामला
यह मामला धनबाद के एक सरकारी स्कूल से जुड़ा है। स्कूल के क्लर्क चंद्रभूषण पाठक की नियुक्ति वर्ष 1993 में हुई थी, लेकिन वर्ष1997 में उनकी सेवा यह कहते हुए समाप्त कर दी गयी कि उनकी नियुक्ति गलत तरीके से हुई है।
इसके खिलाफ पाठक ने हाईकोर्ट ने याचिका दायर की थी। सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि सरकार पाठक की नियुक्ति को गलत साबित नहीं कर सकी है इस कारण उनकी सेवा वापस की जाए। एकलपीठ के इस आदेश के बाद भी सरकार ने सेवा वापस नहीं की। इ
सके बाद प्रार्थी की ओर से अवमानना याचिका दायर की गयी।
इस पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सेवा वापस कर दी जाएगी। इस अंडरटेकिंग के बाद अदालत ने अवमानना याचिका निष्पादित कर दी।