चिटफंड घोटाले में सरकार का सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल करने का निर्णय, हाई कोर्ट में…

11 सितंबर को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि छोटे निवेशकों के डूबे पैसे को उन्हें मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार 45 दिनों के भीतर हाई लेवल कमेटी बनाने का नोटिफिकेशन जारी करें

News Aroma Media

रांची : झारखंड हाई कोर्ट में चिटफंड घोटाला मामले (Chit Fund Scam Cases) में निवेशकों के डूबे पैसों की वापसी को लेकर दायर नॉन बैंकिंग अभिरक्षा निवेशक सुरक्षा समिति (Non Banking Custodial Investor Protection Committee) सहित अन्य याचिकाओं की सुनवाई बुधवार को हुई।

मामले में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 11 सितंबर के हाई कोर्ट के आदेश को लेकर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल करने का निर्णय लिया है, जिस पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की अगली 6 दिसंबर निर्धारित की है।

11 सितंबर को हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि छोटे निवेशकों के डूबे पैसे को उन्हें मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार 45 दिनों के भीतर हाई लेवल कमेटी बनाने का नोटिफिकेशन जारी करें।

चिटफंड घोटाले के सीज पैसे ED और CBI ने बैंकों में रखे गए

कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह हाई लेवल कमेटी (High Level Committee) हाई कोर्ट के सेवानिवृत चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में तीन सदस्य होगी। इसमें सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस के अलावे सेक्रेटरी बोर्ड आफ ऑफ रेवेन्यू एवं CBI की एक पदाधिकारी जो DIG रैंक से कम का न हो, वह रहेंगे।

यह हाई लेवल कमेटी चिटफंड कंपनियों द्वारा छोटे निवेशकों के गबन किए गए पैसे को वापस दिलाने का प्रयास करेगी।

पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि चिटफंड घोटाला में शामिल कई कंपनी के संचालकों की ED और CBI ने करोड़ रुपये की संपत्ति एवं पैसे सीज किए हैं। चिटफंड घोटाले के सीज पैसे ED और CBI ने बैंकों में रखे गए हैं।

कई राज्यों में एक कमेटी बनाकर चिटफंड के शिकार लोगों के केस को डिस्पोजल (Disposal) किया जा रहा है और उन्हें उनके डूबे पैसे वापस दिलाया जा रहे हैं। झारखंड में भी कमेटी बनाकर निवेशकों के डूबे पैसे को वापस दिलाया जाए।