रांची : झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में विधानसभा में नियुक्ति गड़बड़ी मामले (Irregularity Appointment Case) में शिव शंकर शर्मा जनहित याचिका की सुनवाई गुरुवार को हुई।
सुनवाई के दौरान विधानसभा के प्रभारी सचिव की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट अब तक प्राप्त नहीं हो सकी है।विधानसभा सचिवालय ने जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय आयोग से जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की जांच की रिपोर्ट का मूल प्रतिवेदन मांगी है।
चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने विधानसभा सचिव को जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कमीशन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का एक और मौका देते हुए मामले की सुनवाई नौ नवंबर निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान विधानसभा सचिव की ओर से जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की गई।
सुनवाई के दौरान विधानसभा की ओर से अपर महाधिवक्ता जयप्रकाश और अधिवक्ता अनिल कुमार ने पैरवी की। इस दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को बताया गया कि विधानसभा में गलत तरीके से नियुक्त अधिकारियों की प्रोन्नति के लिए आयोग से सुझाव मांगा गया है। सरकार की मंशा विधानसभा में गलत रूप से चयनित अधिकारियों को बचाने की है।
पिछले सुनवाई में कोर्ट ने विधानसभा सचिव की ओर जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि सात दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें अन्यथा अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार की ओर से कोर्ट को बताया था कि मामले की जांच को लेकर पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता वाली वन मैन कमिशन बनी थी, जिसने मामले की जांच कर राज्यपाल को वर्ष 2018 में रिपोर्ट सौंपी थी।
इसके आधार पर राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को एक्शन लेने का निर्देश दिया था लेकिन वर्ष 2021 के बाद से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। राज्यपाल के दिशा निर्देश के बावजूद भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले को लंबा खींचा जा रहा है।
वर्ष 2005 से 2007 के बीच में विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई
मामले में देरी होने से गलत तरीके से चयनित होने वाले अधिकारी सेवानिवृत हो जाएंगे। पूर्व की सुनवाई विधानसभा की ओर से बताया गया था कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की कमीशन की रिपोर्ट पूरी तरीके से स्पेसिफिक नहीं थी, जिस कारण जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद के कमीशन की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए एक और जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली कमीशन बनी है।
झारखंड विधानसभा में अवैध नियुक्ति की जांच की मांग को लेकर शिव शंकर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2005 से 2007 के बीच में विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी हुई है।
मामले की जांच के लिए पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद (Vikramaditya Prasad) आयोग का गठन किया गया। आयोग ने जांच कर वर्ष 2018 में राज्यपाल को रिपोर्ट भी सौंपी थी, जिसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने का निर्देश दिया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।