रांची: झारखंड हाई कोर्ट में जंगल की जमीन एवं सरकारी जमीन की खरीद बिक्री की जांच (Purchase and Sale Investigation) कराने को लेकर कृषि ज्ञान संस्था के डॉक्टर लाल राजीव रंजन नाथ शहदेव (Dr Lal Rajeev Ranjan Nath Shahdev) की जनहित याचिका पर मंगलवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की।
मामले में याचिकाकर्ता की ओर से CBI और निजी स्टील कंपनी को प्रतिवादी बनाने को लेकर हस्तक्षेप याचिका (IA) दाखिल की गई, जिस पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से समय की मांग की गई।
याचिका में उठाए गए बिंदुओं पर जवाब के लिए भी केंद्र सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा है। मामले में जीवीके पावर की ओर से भी जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की गई।
अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। याचिकाकर्ता की ओर से ज्ञानरंजन नाथ शहदेव ने पैरवी की। पूर्व में कोर्ट ने सचिव, मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज और नेशनल मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को मामले में प्रतिवादी बनाया था।
कुल फॉरेस्ट एरिया में लगभग 2.5 लाख का अन्तर
कोर्ट को बताया गया था कि कुछ प्राइवेट कंपनियों और कुछ व्यक्तियों के द्वारा राज्य में जंगल एवं सरकारी भूमि को खरीद बिक्री की गई है और जमीन का अतिक्रमण किया गया है, जो नियम विरुद्ध है,जिसकी जांच कराई जानी चाहिए, जिसके बाद कोर्ट ने उक्त प्राइवेट कंपनियों को नोटिस जारी किया था।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट के समक्ष राज्य के फॉरेस्ट का ऑडिट रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई थी। इसमें बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य को 30 सितंबर 2002 तक के तय समय सीमा में जंगल से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन 20 वर्ष होने के बाद भी जंगल से अतिक्रमण नहीं हटाया गया।
राज्य में 62952 एकड़ जंगल में निजी कंपनी और अतिक्रमणकारियों (Private Company and Encroachers) ने रजिस्ट्री के माध्यम से जमीन को खरीद लिया है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया एवं राज्य सरकार के कुल फॉरेस्ट एरिया में लगभग 2.5 लाख का अन्तर है।