रांची : झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) संशोधित नियमावली के विरोध में दायर याचिका पर मंगलवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
चीफ जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच में हुई इस सुनवाई में अदालत ने सरकार को इस मामले में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
बता दें कि सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए अदालत से समय की मांग की। सरकार की तरफ से अदालत को बताया गया कि नियमावली के लिए कमिटी का गठन किया गया है।
इस कमिटी ने अन्य राज्यों की नियमावली का अध्ययन किया है और उस अध्ययन की रिपोर्ट भी कमिटी ने सरकार को सौंप दी है। इसलिए इस पर जवाब देने के लिए सरकार ने समय मांगा है।
अदालत अब इस मामले में अगली सुनवाई 23 दिसंबर करेगी।
गौरतलब है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) संशोधित नियमावली को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी है। नियमावली के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि नयी संशोधित नियमावली में झारखंड के ही संस्थानों से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करने को अनिवार्य किया गया है। ऐसा करना भारत के संविधान की मूल भावना और समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि झारखंड से बाहर पढ़ाई किये झारखंड के निवासियों को नियुक्ति परीक्षा में शामिल होने से नहीं रोका जा सकता है।
वहीं, सरकार ने नयी नियमावली में संशोधन कर क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की श्रेणी से हिंदी और इंग्लिश को बाहर कर दिया है, जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया भाषाओं को शामिल रखा गया है।
याचिका में कहा गया है कि इस नयी संशोधित नियमावली में उर्दू को जनजातीय भाषा की श्रेणी में राजनीतिक फायदे के लिए रखा गया है।
झारखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का माध्यम भी हिंदी है। याचिका में कहा गया है कि उर्दू एक खास वर्ग के लोग ही पढ़ते हैं।
ऐसे में किसी खास वर्ग को सरकारी नौकरी में अधिक अवसर देना और हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के अवसर में कटौती करना संविधान की भावना के खिलाफ है। इसलिए नयी संशोधित नियमावली में किये गये इन दोनों प्रावधानों को निरस्त करने की मांग की गयी है।