रांची : रांची जिला में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने रांची के डीसी छवि रंजन को कई निर्देश दिये हैं।
उन्होंने डीसी छवि रंजन को संक्रमण रोकने के लिए कंटेनमेंट और बफर जोन बनाने के निर्देश दिया है। अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने रांची के डीसी को अलग से पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने डीसी को 12 बिंदुओं में आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं।
अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा है कि दो सप्ताह से रांची में कोरोना संक्रमण के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं।
19 दिसंबर 2021 से 25 दिसंबर 2021 के बीच रांची में 99 नये मामले मिले थे और संक्रमण दर 0.26 प्रतिशत ही थी। लेकिन, 26 दिसंबर 2021 से एक जनवरी 2022 के बीच रांची में 1,300 नये मामले मिले और संक्रमण दर 3.01 प्रतिशत रही।
अपर मुख्य सचिव ने कोविड-19 की दूसरी लहर के अनुभव के आधार पर मरीजों के इलाज के लिए सभी प्रकार के आवश्यक बेड, चिकित्सक, अन्य पारा मेडिकल कर्मी और ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने सभी संक्रमित को कोरोना अस्पतालों में भर्ती करने और होम आइसोलेशन में रहनेवाले मरीजों की कड़ी निगरानी करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन में रहनेवाले मरीजों को देखने दिन में दो बार अनिवार्य रूप से टीम जाये। उन्होंने वैक्सीनेशन में भी तेजी लाने के निर्देश दिया है और कहा है कि दूसरी लहर का अनुभव बताता है कि वैक्सीनेशन से लोगों की जान बचायी जा सकती है।
अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने रांची के डीसी को प्रत्येक कोरोना संक्रमित के संपर्क में आनेवाले कम से कम 30 लोगों की कोरोना जांच करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कंट्रोल/वार रूम भी तैयार करने का निर्देश दिया है, ताकि कोरोना संक्रमण पर काबू पाया जा सके।
उधर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के अभियान निदेशक रमेश घोलप गोरख ने सभी सिविल सर्जनों को निर्देश दिया है कि वे सभी जिलों को पूर्व में दिये गये वेंटिलेटरों को फंक्शनल रखें।
इसके लिए आवश्यक सामग्री की उपलब्धता भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
अभियान निदेशक ने वेंटिलेटर के संचालन और रखरखाव में किसी प्रकार की कठिनाई आने पर उसके निवारण के लिए भारत सरकार के कंप्रीहेंसिव वेब बेस्ड कंप्लेंट मैनेजमेंट सिस्टम के जरिये संबंधित फर्म को शिकायत करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि जिलों को उपलब्ध कराये गये वेंटिलेटर्स की वारंटी अवधि एक साल ही थी, ऐसे में जिन वेंटिलेटर की वारंटी अवधि समाप्त हो गयी है, उनका तत्काल नवीकरण कराया जाये।
यह भी सुनिश्चित किया जाये कि जिलों में उपलब्ध प्रशिक्षित चिकित्सक/पारा कर्मी द्वारा ही इनका संचालन किया जाये।