वक्फ बिल के खिलाफ रांची में उबाल, एकरा मस्जिद से उठी विरोध की आवाज

गौरतलब है कि वक्फ संशोधन बिल को पहले लोकसभा और फिर गुरुवार देर रात राज्यसभा से पास किया गया। लगभग 12 घंटे चली चर्चा के बाद रात 2:33 बजे इसे 128 मतों के पक्ष में और 95 मतों के विरोध में पारित किया गया। अब यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह कानून के रूप में लागू होगा।

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Ranchi is in uproar against the Waqf Bill:वक्फ संशोधन बिल को लेकर झारखंड की राजधानी रांची में शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। जुमे की नमाज के बाद मेन रोड स्थित एकरा मस्जिद के बाहर प्रदर्शनकारियों ने काली पट्टियां बांधकर और हाथों में बैनर-पोस्टर लेकर बिल के खिलाफ नाराजगी जताई। लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर सरकार से बिल को तुरंत वापस लेने की मांग की।

सरकार पर सीधा आरोप

प्रदर्शन के दौरान AIMIM के नगर प्रवक्ता मोहम्मद आरिफ आलम ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों के हक और हुकूम पर ताला लगाने जैसा है। जैसे तीन तलाक और एनआरसी जैसे फैसलों से मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुंचाया गया, वैसे ही वक्फ बिल भी उसी दिशा में उठाया गया एक और हमला है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक सरकार बिल को वापस नहीं लेती।

संविधान के दायरे में आंदोलन की बात

आरिफ आलम ने कहा कि हम कोई गैरकानूनी रास्ता नहीं अपनाएंगे। यह आंदोलन पूरी तरह लोकतांत्रिक और संविधान के दायरे में रहकर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश का हर मुस्लिम संगठन इस कानून के खिलाफ एकजुट है और इसके विरोध में आवाज बुलंद करेगा। उन्होंने किसान आंदोलन का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार को मजबूरी में किसान बिल वापस लेना पड़ा था, और वक्फ बिल को भी उसी तरह वापस लेना होगा।

युवाओं की भी नाराजगी

प्रदर्शन में रांची कॉलेज के पूर्व छात्र मोहम्मद वसीम ने भी हिस्सा लिया और सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह कानून देश की साझी संस्कृति और अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ है। हम इस बिल को पूरी तरह खारिज करते हैं।

संसद में हुआ बिल पारित

गौरतलब है कि वक्फ संशोधन बिल को पहले लोकसभा और फिर गुरुवार देर रात राज्यसभा से पास किया गया। लगभग 12 घंटे चली चर्चा के बाद रात 2:33 बजे इसे 128 मतों के पक्ष में और 95 मतों के विरोध में पारित किया गया। अब यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद यह कानून के रूप में लागू होगा।

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