रांची: बैंकों के निजीकरण के विरोध में शहर में दूसरे दिन शुक्रवार को भी सरकारी बैंक कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही।
हड़ताली बैंक कर्मचारियों ने बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के हेड ऑफिस सहित अन्य बैंकों के सामने एकत्रित होकर विरोध-प्रदर्शन किया।
यूनाइटेड फोरम बैंक यूनियंस ने कहा कि मनमाने तरीके से सरकारी बैंकों को निजी हाथों में सौंपने की योजना केंद्र सरकार बना रही है। अगर ऐसा होता है तो बैंक कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर चले जायेंगे।
एमएल सिंह ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि बैंकिंग सुधार के नाम पर जो प्रयास चल रहा है, उसे खत्म करते हुए सार्वजनिक बैंकों का निजीकरण करने के प्रस्ताव को वापस ले और बड़े कॉरपोरेट घरानों की एनपीए राशि की वसूली के लिए कड़े कदम उठाये।
बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन के झारखंड जनरल सेक्रेटरी सुनील लकड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अधिनियम 1979 एवं 1980 और बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1940 में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा जाएगा।
सरकार पूंजीपतियों के हित को ध्यान में रखते हुए बैंकों का निजीकरण करना चाहती है। इससे आम आदमी को नुकसान होगा।
अगर सरकार ने हमारी मांगों पर गौर नहीं किया तो हम अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।। इससे देश में वित्तीय संकट की स्थिति पैदा होगी और इसके लिए केंद्र सरकार ही जिम्मेवार होगी।
बताया गया कि राज्य भर में विभिन्न बैंकों की 3287 शाखाओं में ताला लटका रहा। रांची जिले में ही लगभग 600 शाखाएं बंद हैं। हड़ताल में जिले में ही लगभग 10 हजार बैंककर्मी शामिल हुए हैं।
शुक्रवार को भी मेन रोड, बूटी मोड़, कोकर, कांटाटोली सहित अन्य स्थानों पर स्थित अलग-अलग बैंकों के समक्ष विभिन्न संगठनों के नेताओं और बैंक कर्मियों ने धरना प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया और जमकर नारा भी लगाया।
बैंक हड़ताल का असर रांची में स्थित विभिन्न बैंकों के एटीएम पर भी दिखा। पहले दिन तो एटीएम में पर्याप्त कैश रहने की वजह से तो खास परेशानी नहीं हुई।
लेकिन दूसरे दिन रुपये निकालने के लिए लोग एक एटीएम से दूसरे एटीएम का चक्कर लगाते रहे लेकिन कैश की किल्लत की वजह से ग्राहक सारा दिन हैरान-परेशान रहे।
विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से पंकज कुमार सिन्हा, अखिलेश कुमार, अरूप चटर्जी, राजन कुजूर आदि उपस्थित थे।