रांची : झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा में आधारभूत संरचनाओं का तो विकास हुआ, लेकिन शिक्षा के स्तर में गिरावट भी होती गयी।
उच्च शिक्षा में विकास के लिए संरचनाओं के विकास के साथ-साथ गुणवत्ता जरूरी है। मुख्य सचिव गुरुवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति को उच्च शिक्षा में लागू करने को लेकर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से जितनी अधिक संरचनाएं विकसित हुई हैं, गुणवत्ता में उतना ही ह्रास हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में जो समस्याएं पूर्व में थीं, वही समस्याएं कमोबेश आज भी हैं।
संरचनाओं के विकास का लाभ छात्रों को मिले, इसके लिए शिक्षा में गुणवत्ता जरूरी है।
उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित विशेषज्ञों से कहा कि झारखंड भी उच्च शिक्षा में अग्रणी राज्यों में खड़ा हो और यहां का शैक्षणिक पलायन रुके, इसपर मंथन जरूरी है।
कार्यशाला में जो भी बातें छनकर आयेंगी राज्य में उसे लागू किया जायेगा।
राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव शैलेश कुमार सिंह ने राज्य में अधिक से अधिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना तथा रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को राज्य में गंभीरता से लागू करने तथा डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को एक विषय पर केंद्रित करने के बजाय उसे मल्टीडिसीप्लिनरी एप्रोच रखना होगा।
कार्यशाला में उच्च शिक्षा की पहुंच, गुणवत्ता तथा भविष्य की तैयारी पर चार अलग-अलग विषयों पर चर्चा हुई। साथ ही कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात आदि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने को लेकर अब तक की पहल पर भी चर्चा हुई।
इससे पहले उच्च तकनीकी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा से संबंधित पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।