रांची: माकपा के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि भारत सरकार के हैवी इंजीनियरिंग मंत्रालय की हठधर्मिता और केंद्र सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र विरोधी नीतियों के कारण झारखंड का प्रतिष्ठित मदर उद्योग हैवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन (एचइसी) अब पूरी तरह बंद होने के कगार पर है।
विप्लव ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार भी चाहती है कि एचइसी बंद हो जाय ताकि बाद में एचइसी की बहुमूल्य परिसंपत्ति वे अपने चहेते निजी कार्पोरेट घरानों के हवाले कर सकें।
उन्होंने कहा कि नीति आयोग ने भी पीएमओ को एचइसी को बंद किए जाने की सिफारिश की है। जबकि एचइसी संयंत्र का आधुनिकीकरण कर और कार्यशील पूंजी का प्रावधान कर इस महत्वपूर्ण उद्योग को बचाया जा सकता है।
एचइसी के पास जमीन की कमी नहीं है। साथ ही वर्तमान मे रक्षा मंत्रालय और इसरो समेत कई कंपनियों से लगभग 1800 करोड़ का कार्यादेश (वर्क ऑर्डर) भी है।
इसके अलावा एचइसी का विभिन्न प्रतिष्ठानों पर लगभग 660 करोड़ रुपये बकाया भी है, इसमें इस राशि का बड़ा हिस्सा केवल निफ्ट के पास है।
यदि यह बकाया राशि ही एचइसी को तत्काल भुगतान हो जाय तब वह वर्तमान संकट से निकल सकता है।
इस राशि से मजदूरों और अधिकारियों के बकाए वेतन का भुगतान करने के अलावा संयंत्र के लिए जरूरी साजो – सामान की खरीदारी भी हो सकती है। लेकिन केंद्र सरकार नीति आयोग की सिफारिश पर इसे बंद किए जाने का मन बना चुकी है।
उन्होंने कहा कि एचइसी झारखंड की शान है और वर्तमान मे इसके सभी प्लांटों मे श्रमिकों के रूप में काम कर रहे कामगारों मे लगभग 80 प्रतिशत कामगार राज्य के स्थानीय निवासी हैं। सात माह से वेतन नहीं मिलने से उनके सामने भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है।
इस परिस्थिति में झारखंड सरकार को आगे आकर इस उद्योग को बचाने का काम करना होगा। माकपा राज्य की हेमंत सरकार से अपील करती है कि राज्य हित और मजदूर हित में वो इस कारखाने का टेक ओवर कर इसे स्टेट पीएसयू के रुप में इसका पुनरुद्धार करने का रोड मैप बनाए।
एचइसी का टेक ओवर करने से राज्य सरकार को इस उद्योग के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मालिकाना हक भी मिल जायेगा। राज्य सरकार की गारंटी मिलने से बैंकों द्वारा भी एचइसी को कार्यशील पूंजी उपलब्ध करायी जा सकती है