रांची: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि उच्च शिक्षा के विकास के लिए जरूरी है कि शिक्षण संस्थानों में अनुकूल आधारभूत संरचना उपलब्ध हो।
गर्व का विषय है कि हमारे विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने भाषा, साहित्य, संस्कृति एवं कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करते हुए ऐसा वातावरण तैयार किया, जिससे विदेशों में भी इन भाषा, साहित्य, संस्कृति एवं कला को जानने-समझने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई।
राज्यपाल शनिवार को रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के जीर्णोद्धारित भवन के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक एवं विभिन्न खनिज संपदा से परिपूर्ण इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के जनजाति प्राचीनकाल से निवास करते आ रहे हैं।
उनकी कला, संस्कृति, लोक-साहित्य, परंपरा एवं रीति-रिवाज अत्यंत समृद्ध है और इसकी विश्व स्तर पर एक विशिष्ट पहचान है।
उन्होंने कहा कि झारखंड के बुद्धिजीवी, शिक्षाविद्, भाषाविद्, संस्कृतिप्रेमी एवं कला के विद्वानों द्वारा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के विकास, संवर्धन के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर एक स्वतंत्र विभाग खोलने की इच्छाशक्ति ने इस विभाग की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
कई विदेशी विद्वानों ने कुड़ूख, खोरठा, नागपुरी, कुरमाली, मुंडारी, संथाली जैसी नौ भाषाओं में शोध कार्य किया, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन भाषाओं को स्थान और पहचान मिली।
आज सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका में संथाली की पढ़ाई हो रही है। विनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय, धनबाद में खोरठा, कुरमाली एवं संथाली की छमाही सर्टिफिकेट कोर्स की पढ़ाई हो रही है।
राज्यपाल ने कहा कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग में छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स के साथ बीए स्तर तक खोरठा, कुड़ूख, कुरमाली, संथाली आदि भाषाओं की पढ़ाई हो रही है।
उच्च शिक्षा के विकास के लिए यह जरूरी है कि शिक्षण संस्थानों में अनुकूल आधारभूत संरचना उपलब्ध हों।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा मिले, उच्च शिक्षा सर्वसुलभ हो, जिससे हमारे विद्यार्थी अपनी प्रतिभा से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राज्य और राष्ट्र का नाम रौशन करें।
इसके लिए शिक्षकों को भी विशेष ध्यान देने की जरूरत तो है ही, उनकी जवाबदेही भी आवश्यक है।
रांची विश्वविद्यालय का यह दायित्व है कि वे विद्यार्थियों को निपुण एवं दक्ष बनायें, उन्हें प्रोत्साहित करें कि वे जहां भी रहें, अपने कार्य और आचरण से सबका नाम रौशन करें। उनकी एक देशभक्त एवं जिम्मेदार नागरिक के रूप में पहचान हो और उनमें राष्ट्रप्रेम की भावना प्रबल हो।