रांची: झारखंड हाई कोर्ट में भूख से मौत मामले में सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में सख्ती बरतते हुए सरकार से पूछा कि कल्याणकारी योजनाएं राज्य के गरीब जरूरतमंद तक क्यों नहीं पहुंच पाती हैं? गरीबों को योजनाओं का लाभ क्यों नहीं मिल रहा।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हुई।
अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने शनिवार को बताया कि झारखंड हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जब पहुंच ही नहीं रहा है तो ऐसी योजनाएं किस काम की?
क्या सरकार की ये योजनाएं महज कागज पर ही चल रही हैं? धरातल पर क्यों नहीं पहुंच पा रही हैं? इसके लिए राज्य सरकार क्या कर रहा है?
जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने के लिए सरकार का क्या मेकैनिज्म है? झारखंड हाई कोर्ट ने इन बिंदुओं पर विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी।
इस दौरान झालसा ने भी कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश किया। रिपोर्ट को देखने के बाद अदालत ने नाराजगी जताई। अदालत ने अफसरों से पूछा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं।
इतनी कल्याणकारी योजनाओं के बाद भी गरीब और जरूरतमंदों के पास योजनाओं का लाभ क्यों नहीं पहुंच पा रहा है। क्या यह महज कागजी योजनाएं हैं?
उल्लेखनीय है कि भूख से मौत की खबर स्थानीय मीडिया में आने के बाद हाईकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया था। इस मामले को जनहित याचिका में बदलकर सुनवाई करने का निर्देश दिया था।
उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व में अदालत ने राज्य सरकार और झालसा से रिपोर्ट पेश करने को कहा था। झालसा की रिपोर्ट को देखने के बाद अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है।