रांची: राज्य में स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी और रिजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की हालत खराब है।
पिछले तीन वर्षों से अब तक इसकी एक बार भी बैठक नहीं हो सकी है। नियम से हर माह इसकी बैठक होनी चाहिए। गैर सरकारी सदस्यों की नियुक्ति नहीं किये जाने के कारण समस्या आ रही है।
अथॉरिटी की बैठक नहीं होने से बसों की परमिट का केस लटका रह जा रहा है।
रांची बस ओनर एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह ने कहा कि पांच रिजनल अथॉरिटी और स्टेट अथॉरिटी की बैठक गैर सरकारी सदस्यों की नियुक्ति नहीं किये जाने से नहीं हो रही है।
ऐसे में जो लोग बस की खरीद करते हैं, उनके लिए बगैर परमिट के गाड़ी निकालना वैधानिक तौर पर कठिन है। बैंक का ईएमआई बना रहता है और कमाई नहीं हो पाती।
साथ ही फाइन भरते रहना पड़ता है। जब बोर्ड की मीटिंग ही नहीं होगी, तो परमिट कैसे मिले। परमिट सभी बस मालिक लेना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सदन में भी राज्य सरकार ने इस बात को माना है। सदन में विधायक मनीष जायसवाल ने इस मसले को उठाया था।
इस पर परिवहन विभाग ने भी इसे माना कि स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी और रिजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की बैठक नहीं होने से राज्य में 700 बसों को परमिट नहीं दी जा सकी है।
इसके कारण सरकार को हर साल 63 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इस हिसाब से अब तक कम से कम लगभग दो करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति सरकार को हो चुकी है।
परिवहन विभाग ने भी माना है कि स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी और रिजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में सदस्यों का मनोनयन नहीं किया जा सका है। इसके कारण बसों को परमिट जारी किये जाने पर लगातार असर पड़ रहा है। सदस्यों के मनोनयन का विषय अभी प्रक्रियाधीन है।