रांची: झारखंड में सरस्वती पूजा धूमधाम के साथ मनायी जाती है। इस बार सरस्वती पूजा शनिवार को है। इसकी तैयारी पूरी हो गई है।
चौक-चौराहों और मोहल्ले-टोलों में मंडप बनाये गये हैं। कई बड़े क्लब शुक्रवार से ही मंडप में मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते दिखे।
कोरोना के कारण इस वर्ष भी पहले की तुलना में मंडप नहीं बने हैं। कई मंडपों में मूर्ति की जगह प्रतीकात्मक फोटो से ही पूजा की तैयारी है। इसका सीधा असर मूर्तिकारों के जीवन पर पड़ रहा है।
सरस्वती पूजा का बाजार ठप
शहर के मूर्तिकारों का कहना है कि इस वर्ष सरस्वती पूजा का बाजार बिलकुल ठप है। कोरोना काल की वजह से राेजगार प्रभावित हुआ है।
यही कारण है कि मूर्तिकार, कारीगर और साज-सज्जा के काम से जुड़े कर्मियों को राेजगार के दूसरे विकल्पों को अपनाना पड़ रहा है। कोरोना काल ने मूर्तिकला से जुड़े कारीगरों के रोजगार का काफी प्रभावित किया है।
वर्षों से मूर्ति निर्माण में जुटे कारीगर बेरोजगार हो गये। यहीं कारण है कि परिवार का पेट पालने के लिए किसी ने सब्जी बेची, तो किसी ने समोसा-आलू चॉप का ठेला लगाया कई कारीगरों को राजमिस्त्री का काम सीखना पड़ा।
तस्वीर ने ली मूर्ति की जगह
पहले सभी स्कूल-काॅलेज और हॉस्टल में धूमधाम से सरस्वती पूजा की जाती थी़। पिछले वर्ष 300 मूर्तियां बनायी गयी थी। इस वर्ष सरस्वती पूजा से पहले शिक्षण संस्थान बंद रहने से बड़ा ऑर्डर प्रभावित हुआ है।
गली-मोहल्ले में होने वाली पूजा के लिए छोटी-बड़ी 150 मूर्तियां बन पायी हैं। बड़े आयोजन नहीं होने से बड़ी मूर्ति का निर्माण सीमित संख्या में हुआ है।
साथ ही पहले लोग घर के लिए मां की छोटी मूर्ति लेकर जाते थे, अब उसकी जगह तस्वीर ने ले ली है। इससे रोजगार प्रभावित हो रहा है।