रांची: भारत और न्यूजीलैंड टी-20 मैच के दौरान महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर सहित अन्य को झारखंड की कला ने काफी प्रभावित किया। भारत और न्यूजीलैंड के बीच टी-20 मैच के दौरान यहां की कला ने लोगों का दिल जीत लिया।
दरअसल मैच शुरू होने के पहले झारखंड के पिछड़े क्षेत्रों की एक 18 वर्षीय आदिवासी लड़की हेमा मुंडा केंदू के पत्ते की टोपी बना कर बेच रही थी।
हेमा मुंडा दशम फॉल के दशम गांव की रहने वाली है। वह स्टेडियम के बाहर टोपी बेच रही थी।इसी क्रम में झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) के उपाध्यक्ष अजय नाथ शाहदेव की नजर उस पर पड़ी।
उन्होंने हेमा मुंडा से टोपी के संबंध में पूछताछ की। हेमा ने बताया कि दशम फॉल एरिया पर्यटको के लिए है। यहां काफी संख्या में पर्यटक आते हैं और पत्तों से बनी टोपी खरीदते हैं।
रांची में मैच होने की सूचना पर वह पत्तों से बनी टोपी लेकर रांची पहुंची है और उसे बेच रही है। एक टोपी की कीमत 60 रुपये है। हेमा मुंडा का जवाब सुनकर अजय नाथ शाहदेव काफी खुश हुए।
उन्होंने उस बच्ची से पूछा कि क्या वह स्टेडियम के अंदर कभी गई है। इस पर उस बच्ची ने कहा की नहीं। बच्ची के साथ उसका भाई और पिता भी थे। अजय शाहदेव ने दो टोपी खरीद लिया।
उन्होंने एक टोपी महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर को पहनाया जबकि दूसरी टोपी बीसीसीआई के पूर्व कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी को दिया। गावस्कर उस पत्ते की टोपी को देखकर काफी प्रभावित हुए।
उन्होंने कहा कि वह इस कला को दुनिया तक टीवी के माध्यम से पहुचायेंगे। वहीं अजय नाथ शाहदेव ने हेमा मुंडा और उसके पिता एवं भाई को टिकट देकर मैच देखने के लिए स्टेडियम में प्रवेश कराया।
उल्लेखनीय है कि सुनील गावस्कर पहले भी आदिवासी खिलाड़ियों और खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करते रहे हैं। झारखंड के अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी गोपाल भेंगरा की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें हर माह सहायता राशि भेजते थे।
झारखंड की कला के मुरीद हुए महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर, आदिवासी लड़की द्वारा बनाए गए केंदु पत्ता की पहनी टोपी, सराहा
हेमा मुंडा दशम फॉल के दशम गांव की रहने वाली है
रांची: भारत और न्यूजीलैंड टी-20 मैच के दौरान महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर सहित अन्य को झारखंड की कला ने काफी प्रभावित किया। भारत और न्यूजीलैंड के बीच टी-20 मैच के दौरान यहां की कला ने लोगों का दिल जीत लिया।
दरअसल मैच शुरू होने के पहले झारखंड के पिछड़े क्षेत्रों की एक 18 वर्षीय आदिवासी लड़की हेमा मुंडा केंदू के पत्ते की टोपी बना कर बेच रही थी।
हेमा मुंडा दशम फॉल के दशम गांव की रहने वाली है। वह स्टेडियम के बाहर टोपी बेच रही थी। इसी क्रम में झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) के उपाध्यक्ष अजय नाथ शाहदेव की नजर उस पर पड़ी।
उन्होंने हेमा मुंडा से टोपी के संबंध में पूछताछ की। हेमा ने बताया कि दशम फॉल एरिया पर्यटको के लिए है। यहां काफी संख्या में पर्यटक आते हैं और पत्तों से बनी टोपी खरीदते हैं।
रांची में मैच होने की सूचना पर वह पत्तों से बनी टोपी लेकर रांची पहुंची है और उसे बेच रही है। एक टोपी की कीमत 60 रुपये है। हेमा मुंडा का जवाब सुनकर अजय नाथ शाहदेव काफी खुश हुए।
उन्होंने उस बच्ची से पूछा कि क्या वह स्टेडियम के अंदर कभी गई है। इस पर उस बच्ची ने कहा की नहीं। बच्ची के साथ उसका भाई और पिता भी थे। अजय शाहदेव ने दो टोपी खरीद लिया।
cगावस्कर उस पत्ते की टोपी को देखकर काफी प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि वह इस कला को दुनिया तक टीवी के माध्यम से पहुचायेंगे। वहीं अजय नाथ शाहदेव ने हेमा मुंडा और उसके पिता एवं भाई को टिकट देकर मैच देखने के लिए स्टेडियम में प्रवेश कराया।
उल्लेखनीय है कि सुनील गावस्कर पहले भी आदिवासी खिलाड़ियों और खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करते रहे हैं। झारखंड के अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी गोपाल भेंगरा की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें हर माह सहायता राशि भेजते थे।