रांची: झारखंड हाईकोर्ट में जेएसएससी संशोधित नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर अब 13 जनवरी को सुनवाई होगी।
सुनवाई चीफ जस्टिस रवि रंजन और एसएन प्रसाद की बेंच में होगी। पिछले सप्ताह भी मामले की सुनवाई के लिए तारीख तय की गयी थी लेकिन तब सुनवाई टल गयी थी।
इसके पहले हाईकोर्ट ने नई नियमावली पर सरकार से जवाब मांगा था।
इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार की ओर से किये गये नियमावली संशोधन को असंवैधानिक बताया था।
कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि इससे संबधित संचिका कोर्ट में पेश करें। महाधिवक्ता से पूछा गया है कि संबधित नियमों के तहत सरकार क्या आरक्षण की धारणा के साथ कार्य कर रही है।
कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि हिंदी और अंग्रेजी को पेपर टू से हटा कर बंगाली, उर्दू को शामिल करने का क्या औचित्य है।
दायर याचिका में संशोधित नियमावली को चुनौती दी गयी है। याचिका में कहा गया है कि नयी नियमावली में राज्य के संस्थानों से ही दसवीं और प्लस टू की परीक्षा पास करने को अनिवार्य किया गया है, जो संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
वैसे उम्मीदवार जो राज्य के निवासी होते हुए भी राज्य के बाहर से पढ़ाई किए हों, उन्हें नियुक्ति परीक्षा से नहीं रोका जा सकता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि नयी नियमावली में संशोधन कर क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की श्रेणी से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है, जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया को रखा गया है।
उर्दू को जनजातीय भाषा की श्रेणी में रखा जाना राजनीतिक फायदे के लिए है। राज्य के सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का माध्यम भी हिंदी है।
उर्दू की पढ़ाई एक खास वर्ग के लोग करते हैं। ऐसे में किसी खास वर्ग को सरकारी नौकरी में अधिक अवसर देना और हिंदीभाषी बहुल अभ्यर्थियों के अवसर में कटौती करना संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है।
इसलिए नई नियमावली में निहित दोनों प्रावधानों को निरस्त किए जाने की मांग की गई है।