रांची: रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है।
पत्र लिखकर उन्होंने कहा है कि नगर निकायों में महाधिवक्ता के मंतव्य को हथियार की तरह इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिए जाने की संभावना है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि महाधिवक्ता ने झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 74, 75, 76 सहित अन्य धाराओं को जिस प्रकार से परिभाषित किया है उससे संविधान के तहत नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों को प्राप्त शक्तियों को खत्म कर दिया गया है। इससे साफ है कि कानून को भी तोड़ कर दर्शाया गया है।
महाधिवक्ता के मंतव्य के अनुसार मेयर, अध्यक्ष निगम परिषद और स्थाई समिति की बैठक आहूत नहीं करेगा।
बैठक की तिथि और एजेंडा नगर आयुक्त ही तय करेंगे। यदि एजेंडा पर मेयर, अध्यक्ष हस्ताक्षर नहीं करेंगे तो नगर आयुक्त खुद हस्ताक्षर कर उसे प्रेषित करेंगे।
भले ही यह एजेंडा झारखंड नगरपालिका अधिनियम के विरुद्ध ही क्यों ना हो। मेयर, अध्यक्ष न तो समीक्षा बैठक कर सकते हैं और ना ही अधिकारियों को गलत कार्य करने पर स्पष्टीकरण की मांग कर सकते हैं।
यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। जिन योजनाओं को परिषद और स्थाई समिति की बैठक में चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से स्वीकृत प्रदान की गई हो वह उन योजनाओं को भी समीक्षा नहीं करनी है।
उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर धारा 74 सिर्फ सामान्य बैठक के लिए है लेकिन महाधिवक्ता के मंतव्य में धारा 74 को दो भाग में दर्शाया गया है।
एक सामान्य बैठक, दूसरा ज़रूरत आधारित बैठक। ऐसे में मेयर को दी गई शक्तियों को धूमिल किया गया है।
अब नगर विकास विभाग से मिले पत्र और महाधिवक्ता के मंतव्य को अचूक हथियार की तरह इस्तेमाल कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जायेगा, जिसकी शुरुआत नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने कर दी है।