रांची: प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और मांडर विधायक बंधु तिर्की ने सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने लिखा है कि झारखंड के आदिवासी-मूलवासी नागरिकों को सरकारी और राज्य सरकार की ओर से अनुदान प्राप्त स्वशासी संस्थाओं की नौकरियों में संविधान प्रदत्त आरक्षण तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सही अनुपालन हो।
साथ ही राज्य में युवाओं को न्याय संगत आरक्षण का सही लाभ मिल सके और समाज में सभी को योग्यता के अनुरूप नौकरियां प्राप्त हो सके।
उन्होंने कहा कि झारखंड लोक सेवा आयोग सहित कई नियुक्तियों के लिए बनी आयोग, समितियों के कतिपय अध्यक्ष सदस्य उपयुक्त विषय प्रावधानों को सही अनुपालन नहीं कर रहें है।
झारखंड के आदिवासी, मूलवासी नागरिकों के आरक्षण की मूल भावना को ही नहीं समझना चाहते हैं जिसके कारण आरक्षित वर्गों से कम प्राप्तांक गैर आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को भी नौकरियों की सूची में स्थान प्राप्त हो जाता है।
यदि कोई उम्मीदवार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़े वर्ग के लिए प्रदत उम्र या फीस देकर आवेदन करता है तो उसे आरक्षित कोटे की ही नौकरी के लिए माना जाएगा।
क्या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में सर्वोच्च अंक लाकर स्वर्ण पदक प्राप्त नहीं करते आ रहे हैं।
खुली प्रतियोगिता में सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत अनारक्षित सीट का जो प्रावधान रखा है उसमें जाति, धर्म, गरीबी, अमीरी का कोई बंधन नहीं है।
स्वर्ण,अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग अपनी मेधा के आधार पर इस 50 प्रतिशत की खुली शीट में रखे जाने के लिए बने प्रवधान के हकदार हैं।
तिर्की ने अनुरोध करते हुए कहा है कि नियुक्ति संबंधी विभिन्न आयोगों, चयन समितियों में संविधान के प्रावधानों के अनुरूप कम से कम एक सदस्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदाय के रखे जाने की जो बाध्यता है।
उन्हें यह प्रशिक्षण अवश्य दिया जाय कि वे रखे इसी लिए जाते हैं कि आरक्षण का सही रूप से अनुपालन हो।
आरक्षित- अनारक्षित कोटे में न्यायोचित निर्णय लेकर समाज में झारखंड सरकार की मानसिकता का प्रदर्शन करा सके जिससे इस प्रदेश का युवा वर्ग और पूरी जनता संतुष्ट रहे।