Ranchi Political News: केंद्र सरकार की ओर से निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 7212.85 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। इन राशियों का उपयोग विभिन्न मंत्रालय और विभागों द्वारा जारी निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) से उपयोग की गई कुल राशि 548 करोड़ रुपये है।
यह जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने मंगलवार को लोकसभा में दी।
संजय सेठ ने झारखंड में निर्भया फंड के उपयोग से संबंधित सवाल किया
लोकसभा में रांची के सांसद संजय सेठ (Sanjay Seth) ने झारखंड में निर्भया फंड के उपयोग से संबंधित सवाल किया था और पूछा था कि झारखंड सरकार के जरिये इसके तहत कार्य और उपयोग के लिए कितने प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।
सांसद ने अन्य भी कई सवाल इससे जुड़े हुए लोकसभा में रखे थे। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि निर्भया फंड के तहत झारखंड राज्य में आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता 112 मानव व्यापार रोधी इकाइयों की स्थापना, महिला हेल्पलाइन 181, वन स्टॉप सेंटर सहित कई कार्य हो रहे हैं।
इसके अलावा फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना भी की गई है। मूल रूप से यह फास्ट ट्रैक कोर्ट दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम के लंबित मुकदमों के निपटारा के लिए किया गया है। वर्तमान समय में झारखंड में 22 ऐसे फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट कार्यरत हैं।
झारखंड के सभी 24 जिलों में वन स्टॉप सेंटर कार्यशील
झारखंड के सभी 24 जिलों में वन स्टॉप सेंटर कार्यशील हैं। इसके अलावा झारखंड राज्य में वन स्टॉप सेंटर (One Stop Center) के माध्यम से 3435 महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है।
181 महिला हेल्पलाइन के माध्यम से 41587 महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है। झारखंड में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट के माध्यम से दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम से जुड़े 5383 मामलों का भी निपटारा किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने सांसद को यह भी बताया कि झारखंड सहित देश के कई राज्यों के लिए LFSAL, DNA विश्लेषण, साइबर फॉरेंसिक जैसी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 183 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
यह बिल्कुल नई परियोजना है
इसके अतिरिक्त अमृत शहरों में अंधेरे स्थान पर रोशनी करने के लिए झारखंड को 2.33 करोड़ रुपए दिए गए हैं। यह बिल्कुल नई परियोजना है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि निर्भया फंड का उपयोग राज्यों के द्वारा प्रस्तावित परियोजनाओं में विशेषताओं के आधार पर करने की स्वीकृति दी जाती है।
राज्यों से प्रस्ताव के मामले में राज्य महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण विभाग, राज्य सरकार का गृह विभाग और संबंधित केंद्रीय मंत्रालय और विभागों का समर्थन होना आवश्यक है।