रांची: रिम्स शासी की 52वीं बैठक सोमवार को रिम्स में हुई। बैठक की अध्यक्षता राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने की।
बैठक में उपस्थित रांची सांसद संजय सेठ ने डाक्टरों के पीछे डिटेक्टिव एजेंसी लगाने का विरोध किया। सेठ ने कहा कि डॉक्टर गैजेटेड रैंक के होते हैं।
कोई चोर-उचक्के नहीं की, जिनके लिए डिटेक्टिव एजेंसी का सहारा लिया जाए। अभी तक कहीं भी डॉक्टरों की निगरानी इस तरह की एजेंसी से नहीं की गई है।
इस प्रस्ताव का उन्होंने पुरजोर विरोध किया और कहा कि प्यार भाव से डॉक्टरों से बातचीत कर उन्हें हर सुविधा देकर उनसे निजी प्रैक्टिस रुकवाई जा सकती है।
बैठक में रिम्स के चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए डिटेक्टिव एजेंसी से जांच कराने का प्रस्ताव गर्माया।
बैठक में अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, मरीजों की सेवा कैसे बढ़े, ई-ओपीडी का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले सहित कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
बीच बैठक से निकलते हुए सांसद ने कहा कि पूरे देश में कहीं भी ऐसा नहीं है कि डॉक्टरों के पीछे जासूस (डिटेक्टिव एजेंसी) लगाया गया हो। ये शोभा नहीं देता है।
मेरी निजी राय है कि इस विषय को बैठक के एजेंडे में लाना ही नहीं चाहिए था। उन्होंने कहा कि ऐसा तंत्र स्थापित करने की जरूरत है, जहां डॉक्टरों के अंदर एक भाव पैदा हो कि वो प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करें।
संजय सेठ ने रिम्स की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि न्यूरो सर्जरी विभाग की हालत काफी खराब है। यहां मरीजों का इलाज बरामदे में होता है जबकि देश के अन्य अस्पतालों की ऐसी स्थिति नहीं है।
उन्होंने रिम्स की इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने पर जोर दिया। साथ ही मदर चाइल्ड यूनिट की स्थापना करना भी बेहद जरूरी है।
कई बार देखा जाता है कि करोड़ों रुपये के भवन बन तो जरूर जाते हैं, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो पाता है। मैन पावर की बहाली को लेकर सांसद ने कहा कि पारा मेडिकल स्टाफ की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।
पारा मेडिकल स्टाफ ने रिम्स अस्पताल में हजारों लोगों की जान बचाने का काम किया है। बैठक में रिम्स में कार्यबल बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई।
कांके विधायक और रिम्स शासी परिषद के सदस्य समरी लाल ने कहा कि बहुत ही दबाव के बाद सोमवार को शासी परिषद की बैठक हो रही है।
दो महीना पहले रांची सांसद और मैंने संयुक्त पत्र लिखकर बैठक बुलाने को कहा था। इसके बाद उच्च न्यायालय ने जल्दी बैठक कराने को कहा।
उन्होंने कहा कि तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मियों के हित के लिए और डॉक्टरों के प्रमोशन के लिए मांग करेंगे। साथ ही रेडियोलॉजी विभाग में खराब पड़ी मशीन को बनवाने को भी एजेंडे में शामिल करेंगे।
गौरतलब है कि दो साल से रेडियोलॉजी विभाग में सीटी स्कैन मशीन खराब है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कितनी दवाईयां आई, कितने डॉक्टरों की बहाली हुई उन सभी सवालों को जीबी में रखेंगे।
इसके अलावा बैठक में कई बिन्दुओं पर चर्चा हुई और कई निर्णय भी लिये गये। बैठक में अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह, रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद, रिम्स पीआरओ डॉ डीके सिन्हा आदि मौजूद थे।