रांची: जल कर (water tax) में की गयी वृद्धि के खिलाफ बुधवार को रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा के नेतृत्व में राजभवन के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया गया।
धरना-प्रदर्शन में आम जनता, विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठन सहित शहर के विभिन्न वर्ग के लोग शामिल हुए।
मौके पर मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि जल कर में वृद्धि को लेकर राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना जनविरोधी है।
नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने नगर निगम परिषद से इस प्रस्ताव पर स्वीकृति लिये बिना खुद ही राज्य सरकार की अधिसूचना को बैक डेट से जारी कर दिया है।
वाटर चार्ज और वाटर कनेक्शन शुल्क में की गयी अप्रत्याशित वृद्धि से समाज के हर वर्ग पर अनावश्यक रूप से आर्थिक बोझ बढ़ा है।
मार्च 2020 से आम लोग कोरोना महामारी के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। ऐसे में वाटर चार्ज और वाटर कनेक्शन शुल्क में की गयी वृद्धि आम लोगों को अनावश्यक रूप से परेशान करना है।
आशा लकड़ा ने कहा कि हेमंत सरकार रांची की आम जनता की कमर तोड़ना चाहती है। हम इसका पूरी सख्ती से विरोध करते हैं। राज्य सरकार ने वाटर चार्ज की नयी नीति में बीपीएल परिवार को भी राहत नहीं दी है।
बीपीएल परिवार को मात्र पांच हजार लीटर शुद्ध पेयजल ही निःशुल्क दिया गया है। पांच हजार लीटर से 50 हजार किलो लीटर तक बीपीएल परिवार को नौ रुपये प्रति किलो लीटर की दर से भुगतान करना होगा।
उन्होंने कहा कि जहां एक ओर केंद्र सरकार बीपीएल परिवार को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित कर रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार बीपीएल परिवार को भी वाटर चार्ज के दायरे में लाकर उनकी मेहनत की कमाई का हिस्सा मांग रही है।
मेयर ने कहा कि राज्य सरकार शहरवासियों को निःशुल्क वाटर कनेक्शन के नाम पर गुमराह कर रही है। राज्य सरकार ने सिर्फ उन क्षेत्रों में वाटर कनेक्शन निःशुल्क दिया है, जहां नये सिरे से पाइपलाइन बिछायी जा रही है।
राज्य सरकार की नयी अधिसूचना के तहत जिन क्षेत्रों में पुरानी पाइपलाइन से जलापूर्ति की जा रही है, उन क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को वाटर कनेक्शन के लिए भवनों के अलग-अलग प्रकार के तहत सात हजार रुपये से लेकर 42 हजार रुपये तक का भुगतान करना होगा। राज्य सरकार की इस नयी अधिसूचना को गैर कानूनी तरीके से लागू किया गया है।