रांची: झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंगलवार को दक्षिण छोटानागपुर, उत्तरी छोटानागपुर और कोल्हान प्रमंडल के सांसदों-विधायकों व अन्य पदाधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की।
इस बैठक में रांची के सांसद संजय सेठ भी शामिल हुए। इस दौरान कोरोना संक्रमण को रोकने व इस काल में समुचित उपचार के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को कई सुझाव भी दिए।
अपने सुझाव में सेठ ने कहा कि रांची सहित पूरे झारखण्ड में प्रखंड स्तर पर कई अस्पताल भवन बनकर तैयार खड़े हैं लेकिन उनका संचालन शुरू नहीं हो पाया है।
यदि इनका संचालन शुरू होता है तो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को तत्काल राहत मिल सकेगी और समय पर उनका समुचित इलाज हो सकेगा।
वहीं 500 से अधिक की संख्या में झारखंड में डॉक्टर प्रतीक्षारत हैं।
इनकी नियुक्ति होनी है। सरकार अविलंब पहल करके, इनकी नियुक्ति करती है तो तत्काल चिकित्सा क्षेत्र में हमारे लिए बड़ी उपलब्धि होगी। अधिक से अधिक मरीजों को समय पर उपचार मिल सकेगा।
सेठ ने मुख्यमंत्री से कहा कि बड़ी संख्या में डॉक्टर, नर्स व अन्य पारा मेडिकल स्टाफ संक्रमण काल के इस दौर में जान जोखिम में डालकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
इनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम ही होगी। निश्चित रूप से इनका यह सेवा कार्य नमन करने के योग्य है लेकिन एक बड़ी समस्या यह है कि पारा मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर इस बात को लेकर सशंकित रहते हैं कि यदि वह संक्रमित हुए तो उनका इलाज संबंधित अस्पताल में हो सकेगा या नहीं।
इस दिशा में राज्य सरकार को पहल करनी चाहिए और जिन जिन अस्पतालों में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
वहां उनके लिए कुछ सीटें आरक्षित होनी चाहिए ताकि संक्रमित होने की स्थिति में उनका समुचित इलाज किया जा सके।
उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि सदर अस्पताल में प्लाज्मा मशीन अक्टूबर से रखी हुई है।
सिविल वर्क के अभाव में यह चालू नहीं हो पायी है। इसे अविलम्ब चालू किया जाए। वर्तमान समय में सिटी स्कैन एक आवश्यक जरूरत में शामिल हो गया है।
निजी संस्थानों में इसके लिए मोटी रकम ली जाती है। इस दिशा में पहल करते हुए रिम्स और सदर अस्पताल में अविलम्ब सिटी स्कैन की मशीन लगाई जाए।
इसके अतिरिक्त निजी अस्पतालों को ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए तत्काल अनुमति दी जाए। सदर में लगाई जाए।
उन्होंने बैठक में सबको अवगत कराया कि ऐसी जानकारी मिली है कि रांची के ग्रामीण क्षेत्रों से पारा मेडिकल स्टाफ व डॉक्टर्स को मुख्यालय बुला लिया गया है।
ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति और वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे है।
सरकार इस मुद्दे पर पहल करे और जो जिस क्षेत्र में प्रतिनियुक्ति डॉक्टर्स व अन्य स्टाफ हैं। उन्हें उनके क्षेत्र में भेजा जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे संक्रमण को रोका जा सके।
ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए सेठ ने सुझाव दिया कि ग्राम व पंचायत स्तर पर बड़ी संख्या में सरकारी भवन है। विद्यालय हैं, पंचायत भवन है।
इन्हें कोरेंटिन सेंटर के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए ताकि बाहर से आ रहे हमारे बंधुओं को उनके गांव के बाहर ही रोका जा सके।
उनकी जांच की जा सके। उन्हें कोरेंटिन किया जा सके और जरूरत पड़ने पर उनका समुचित उपचार हो सके सके। इस तरह से हम ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ सकते हैं।