रांची: प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि कोरोना संक्रमणकाल में भाजपा शासित राज्यों में कतारबद्ध जलती चिताओं, नदियों में बहता शव और बालू के रेत में दफनायी गयी लाशों को पूरे देश ने देखा है।
वहीं रेत में दबी लाशों पर राजनीति करने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार की भाजपा गठबंधन की सरकार इन शवों को अपनाने से भी इंकार करती रही है।
ये ही भाजपा नेता अब मौत जैसी दुःखद घटना और उन्हें कफन उपलब्ध कराने की बात को भी बतंगड़ बनाने में जुटे हैं।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता ने मंगलवार को कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश अनर्गल और बेबुनियाद बातें कह रहे हैं।
भाजपा शासित प्रदेशों में कोरोना संक्रमितों के शवों को बालू में छिपाने और गंगा में बहाने जैसी ह्दयविदारक एवं पीड़ादायक घटनाएं भी सामने आयी।
जबकि राज्य सरकार ने सभी संक्रमितों की मौत होने पर रीति रिवाज के साथ अंत्येष्टि का निर्णय लिया।
उनके लिए श्मशान घाटों पर निःशुल्क लकड़ी की व्यवस्था करने और कब्रिस्तान में जेसीबी मशीन की व्यवस्था करने का भी प्रबंध किया।
जबकि अभी स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान कपड़ा दुकान बंद रहने के कारण कफन खरीदने में हो रही दिक्कत को देखते हुए मुख्यमंत्री की ओर से यह साफ किया गया कि पाबंदियों के दौरान भी सरकार धार्मिक रीति रिवाजों के अनुसार सरकार हर चीजें उपलब्ध करायेगी।
बस बात इतनी ही थी, लेकिन भाजपा नेताओं को यह बात भी हजम नहीं हुई और वे अपने पूंजीपति मित्रों को कफन के व्यापार में किस तरह से मुनाफा दिलाया जा सके, इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू कर दिया।
इतना ही नहीं भाजपा शासित प्रदेशों में श्मशान घाट से इस्तेमाल की गई कफन को भी बेचने का काम किया गया जिसे पूरे देश ने देखा है।
कोरोना जैसी महामारी को भी धर्म से जोड़ने में महारत हासिल करने वाली पार्टी अंजान बनने का नाटक करती है। यही कारण है कि झारखंड से लगातार इनका सफाया होता जा रहा है।
भाजपा नेताओं को पहले अपने उन पार्टी शासित राज्यों की स्थिति को देखना चाहिए, जहां कोरोना संक्रमण की रफ्तार अब भी काफी तेज है।