रांची: कोरोना काल में सबसे अधिक चौतरफा नुकसान प्रदेश के उन लाखों किसानों को उठाना पड़ रहा है, जो एक तरफ सरकार के द्वारा धान अधिप्राप्ति केंद्रों में अपने उत्पादित धान बेचने के बाद भी उन्हें अभी तक पूरी राशि का भुगतान नहीं मिल पाया है।
उक्त बातें मांडर विधायक बंधु तिर्की ने गुरुवार को कही। उन्होंने कहा कि महीनों पहले एक बार आधे-अधूरे राशि का भुगतान जैसे-तैसे कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि धान अधिप्राप्ति केंद्रों के संचालकों के गड़बड़झाला एवं अनियमितता के कारण किसान अपना पूरा धान सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच नहीं पाये हैं।
वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन के दौरान प्रदेश के लाखों किसान के समक्ष उनके द्वारा उत्पादित सब्जी फसल की लागत खर्च नहीं मिल पाने के कारण खून के आंसू रोने को मजबूर हैं।
बीज बोने से लेकर तैयार सब्जी तक बाजार पहुंचाने की कीमत भी उन्हें नहीं मिल रहा है।
प्रातः सब्जी तोड़ने से लेकर दो बजे तक ही सब्जी बाजार में बेचने की समय सीमा की बाध्यता के कारण किसान अपने उत्पादित सब्जी को व्यापारियों के हाथों औने पौने दाम बेचने को मजबूर हैं।
व्यापारियों के द्वारा थोक मंडी में कद्दू, बैंगन, मूली, टमाटर, खीरा, हरी, मिर्च आदि सब्जियों की कीमत औसतन दो-तीन रुपये प्रति किलो की दर से खरीद किया जा रहा है।
क्योंकि दो बजे के बाद बाजार भी बंद हो जाता है। इसलिए किसान जैसे तैसे अपना सब्जी बेच कर भारी मन से घर की ओर लौट जाते हैं।
कुछ किसान तो अपना सब्जी बेच भी नहीं पाते और सड़क किनारे फेंक कर चले जाते हैं।
उनके पास अपनी सब्जी उचित मूल्य पर किसी दूसरे व्यापारी के पास बेचने का विकल्प भी नहीं रहता।
इनमें से अधिकतर किसान कृषि लेकर खेती किए हैं। बहुत सारे किसानों ने तो महिला समूह से निजी तौर पर ऋण लेकर खेती किये है।
भारी पूंजी लगाकर किसान खेती तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है।
उदाहरण स्वरूप बेड़ो प्रखंड के लगभग 7700 किसानों ने केसीसी लोन लेकर खेती किए हैं।
इन्हीं में से जरिया गांव के किसान पंकज कुमार महतो है जो बताते हैं कि उन्होंने तरबूज की खेती की थी, जिसमें लगभग ढाई लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।
इसी तरह असरो गांव के किसान दुर्गा उरांव बताते हैं कि उन्होंने एक एकड़ से ऊपर अपनी जमीन में टमाटर लगाए थे लेकिन हजारों रुपए का नुकसान हो गया।
इस तरह से प्रदेश में लाखों किसान है,जिन्हें खेती में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।