रांची: आजसू पार्टी के विधायक डॉ. लंबोदर महतो शुक्रवार को सदन में दिये गए आश्वासन का अनुपालन नहीं होने, सदन का अवमानना करने और सरकार के पदाधिकारियों के उदासीन, संवेदनहीन, लापरवाह एवं हठधर्मी होने को लेकर विधान सभा परिसर में भूख हड़ताल पर बैठ गए। हालांकि, बाद में समझाने पर वे सदन में लौट आए।
भूख हड़तालपर बैठे लंबोदर महतो ने बताया कि सरकार कुंभकर्णी निद्रा में सोई हुई है।
गृह विभाग ने 16 मार्च, 2020 को पूछे गए तारांकित प्रश्न के आलोक में आश्वस्त किया गया था कि शहीद के आश्रित को दो लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान का भुगतान 15 दिनों के अंदर कर दिया जाएगा।
लेकिन 15 महीने बीतने के बाबजूद अब तक भुगतान नहीं किया गया है। यह सदन की अवमानना है।
उन्होंने कहा कि 04 अप्रैल, 2014 को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के बुरकापाड़ा में नक्सलियों से मुठभेड़ में तेनुघाट स्थित घरवाटांड निवासी शहीद विनोद यादव के आश्रित को अब तक किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया गया है, जबकि स्वयं मुख्यमंत्री शहीद के घर जाकर नौकरी देने, पेट्रोल पंप देने एवं जमीन का बंदोबस्ती कराने का आश्वासन देकर आए हैं।
महतो ने कहा कि बोकारो जिले में 260 करोड़ डीएमएफटी की राशि पड़ी हुई है लेकिन अब तक योजना की स्वीकृति नहीं हुई है, जबकि कई बार जिले के पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया और सदन में भी आवाज उठाई गई।
हमारे क्षेत्र के 22 मृतक श्रमिकों का ग्रेच्युटी का भुगतान भी अब तक नहीं हो पाया है।
योजनाओं का भी हाल ठीक नहीं है।
आलम यह है कि काम करा चुके संवेदक भुगतान के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
आजसू पार्टी विधायक ने कहा कि चतरोचट्टी में धान अधिप्राप्ति केंद्र का सदन में मामले को उठाये जाने के बाद उपायुक्त बोकारो ने दूरभाष से वार्ता कर 24 घन्टे में कार्रवाई का आश्वासन दिया गया लेकिन उपायुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
उन्होंने कहा कि गोमिया विधानसभा क्षेत्र से संबंधित कई जनहित के मुद्दे पर जिला प्रशासन मनमाने तरीके से निर्णय ले रहा है।
न विधायिका के गरिमा का ख्याल किया जाता है और न ही जनहित के मुद्दों पर उचित निर्णय किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में बार-बार सदन की अवमानना एवं विधायिका को नजरअंदाज करने के मामलों से दुःखी होकर हम सदन के बाहर धरना देने भूख हड़ताल बैठे हैं।
हालांकि, प्रश्नोत्तरकाल के दौरान भाकपा-माले के विनोद कुमार सिंह ने इस ओर आसन का ध्यान आकृष्ट कराया।
स्पीकर ने मंत्री चंपई सोरेन और भाजपा विधायक विरंची नारायण को उन्हें समझाकर सदन में वापस लाने का निर्देश दिया। इसके बाद लंबोदर महतो वापस सदन में आ गये।