रांची : सामान्य रूप से ऐसा देखा जाता है कि दिवाली के दौरान फोड़े गए पटाखे (Firecrackers) के कारण प्रदूषण में इजाफा होता है। इसके कारण अस्पतालों में दिवाली के बाद मरीज की संख्या बढ़ जाती है।
आम दिनों की तुलना में तीन गुणा अधिक मरीज अस्पताल में पहुंचते हैं। इसको देखते हुए रिम्स (Rims) के बर्न वार्ड में 16 बेड, सदर में 10 बेड और सभी अनुमंडल अस्पतालों में तीन बेड रिजर्व किए गए हैं।
रिम्स के निदेशक डॉ राजीव गुप्ता ने बताया कि रिम्स में 16 बेड का बर्न वार्ड पूरी तरह से तैयारी है। उन्होंने बताया कि दिवाली के दिन बर्न मामलों के उपचार के लिए आठ जूनियर रेजिडेंट, एक रेजिडेंट के अलावा तीन सीनियर कंसल्टेंट on call मौजूद रहेंगे।
रिम्स के सर्जरी विभाग के डॉ नीशिथ ने बताया कि उपचार से अधिक जरूरी सर्तकता है। इसलिए, बच्चों को पटाखे के नजदीक जाकर जलाने से बचना चाहिए।
रिम्स के टीबी चेस्ट रोग के विशेषज्ञ डॉ ब्रजेश मिश्र ने बताया कि अस्थमा के मरीजों को अगले 48 घंटे तक धुआं में आने से बचना चाहिए। किसी भी हाल में बाहर नहीं निकलना चाहिए।
सावधानीपूर्वक दिवाली मनायी जानी चाहिए
डॉ ब्रजेश ने बताया कि दिवाली के बाद Pollution का स्तर बढ़ जाता है। रिम्स क्रिटिकल केयर के इंचार्ज डॉ पीके भट्टाचार्य ने बताया कि वैसे मरीज जो गंभीर रूप से कोरोना में संक्रमित हुए थे, उन्हें भी धुआं से दूरी बनानी चाहिए।
सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में मरीजों के लिए दस बेड तैयार रहेंगे। इमरजेंसी में 24 घंटे विशेषज्ञ चिकित्सक और नर्सें मौजूद रहेंगी।
उन्होंने बताया कि किसी तरह की समस्या से निपटने के लिए एंबुलेंस भी पूरी टीम के साथ तैयार रहेगी। उन्होंने बताया कि अनुमंडल अस्पतालों में भी तीन बेड जलने की समस्या वाले मरीजों के लिए रिजर्व रखने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि सावधानीपूर्वक दिवाली (Diwali) मनायी जानी चाहिए। अभिभावकों को चाहिए कि पटाखे जलाने के समय बड़ों की निगरानी में ही बच्चे पटाखे फोड़ें।