रांची: जीना चाहता हूं मरने के बाद फाउंडेशन एक भारत के तत्वावधान में ‘जीन हर लम्हा के संदेश के साथ गीत-ग़ज़लों की महफिल सजी।
डॉ शंकर प्रसाद की मखमली आवाज में छू लेने’ दो नाजुक होंठों को…’ ‘चौदहवीं का चाँद हो…’, ‘लागी छूटे ना..’ऱंज़िशें ही सही…’, ‘किसी नज़र को…’ जैसे कर्णप्रिय गीत व गजल सुन कर वाह-वाह करते रहे।
डॉ शंकर प्रसाद ने कार्यक्रम के पहले भाग में पुराने नग्मे और दूसरे भाग में ग़ज़लों के अलग-अलग रंग बिखरे।
घाव भरते ही नए ज़ख़्म उभर जाते हैं…
कार्यक्रम की शुरुआत रांची के शायर हिमकर श्याम ने अपनी ग़ज़ल ‘घाव भरते ही नए ज़ख़्म उभर जाते हैं…’ सुना कर की।
मौके पर मुख्य अतिथि निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने हिंदुस्तानी ग़ज़लों पर अपने विचार रखें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ सुनील तरूण ने की और सफल संचालन राश दादा राश ने किया। विशिष्ट अतिथि थे कामेश्वर निरंकुश।
इस कायर्क्रम में सतीश गुलाटी, विभारानी श्रीवास्तव, मोनिका श्रीवास्तव, रौशन कुमारी,दुर्गेश मोहन, जवाहर लाल सिंह, मधु मिश्रा, नवीन कुमार, सिया मुकुंद, सुषमा पंवार, विनोद भावुक, पूजा राज, आनन्द आशीष, जनार्दन मिश्रा, राजेश भोजपुरिया, जयंती श्रीवास्तव, गंगा प्रसाद राय आदि उपस्थित थे।