रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में गुरूवार को रघुवर सरकार के कार्यकाल में स्थापना दिवस के दिन टॉफी एवं टी-शर्ट बांटे जाने के मामले पर सुनवाई हुई।
मामले की जांच सीबीआई या एसीबी से करवाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने अकाउंटेंट जनरल कार्यालय को दो सप्ताह के अंदर सील कवर रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है।
साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को भी एफिडेविट दायर करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान अकाउंटेंट जनरल कार्यालय का पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि टी-शर्ट और टॉफी की खरीद के लिए फाइनेंशियल रूल 245 के तहत टेंडर के पावर को शिथिल कर दिया गया और मनोनयन के आधार पर टेंडर दे दिया गया।
जिस पर अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि सरकार अपनी जरूरत के हिसाब से नियमों को शिथिल कर आकस्मिक फंड का इस्तेमाल तो कर ले रही है, लेकिन जनहित के लिए ऐसा नहीं करती।
सरकार चाहती तो कोरोना के पिक के दौरान भी नियमों को शिथिल कर मेडिकल उपकरणों की खरीदारी कर सकती थी, लेकिन सरकार ने इच्छाशक्ति नहीं दिखायी। समारोह में टॉफी, बिस्किट के लिए आकस्मिक फंड का इस्तेमाल कर दिया।
इस मामले में याचिकाकर्ता पंकज यादव की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार कोर्ट में उपस्थित हुए। वहीं राज्य सरकार की तरफ से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा।
उल्लेखनीय है कि झारखंड के 17वें स्थापना दिवस के मौके पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में एक दिन में करीब साढ़े तीन करोड़ के टी-शर्ट और 35 लाख की टॉफी बांटी गई थी।
जिसके बाद आरटीआई एक्टिविस्ट पंकज यादव ने रघुवर सरकार के द्वारा स्थापना दिवस के नाम पर टी-शर्ट और टॉफी बांटे जाने के मामले को संदेहास्पद बताते हुए कहा था की यह एक सुनियोजित घोटाला है, और इसकी जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की थी।