नई दिल्ली: चीन की अंतरिक्ष एजेंसी चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) ने शनिवार सुबह पुष्टि की है कि मंगल ग्रह के लिये देश का पहला रोवर लेकर एक अंतरिक्ष यान ‘लाल ग्रह पर उतर गया है।
साथ ही चीन मंगल ग्रह पर रोवर उतारने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है। नाम पर रखा गया है।
यह रोवर मंगल ग्रह पर यूटोपिया प्लैनिशिया में पहले से चयनित इलाके में उतरा।
मंगल ग्रह पर पहुंचने वाले रोवर का वजन करीब 240 किलोग्राम है, उसमें 6 पहिए और 4 सौर पैनल हैं तथा वह प्रति घंटे 200 मीटर तक घूम सकता है।
इसमें छह वैज्ञानिक उपकरण हैं जिनमें बहु-वर्णीय कैमरा, रडार और एक मौसम संबंधी मापक है।
इसके मंगल ग्रह पर करीब 3 महीने तक काम करने की संभावना है।
एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर गए अंतरिक्ष यान ‘तिआनवेन-1 का प्रक्षेपण 23 जुलाई 2020 को किया था।
सौर मंडल में और अन्वेषण के मकसद से एक मिशन में ही ऑर्बिटिंग (कक्षा की परिक्रमा), लैंडिंग और रोविंग पूरा करने के उद्देश्य से मंगल ग्रह पर पहुंचने की दिशा में यह चीन का पहला कदम है।
सीएनएसए ने कहा कि उसका रोवर ”नौ मिनट की कठिन यात्रा के बाद शनिवार को मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक उतर गया।
अभी तक केवल अमेरिका को मंगल ग्रह पर उतरने में महारत हासिल है।
इसके साथ ही चीन मंगल ग्रह पर रोवर के साथ पहुंचने वाला दूसरा देश बन गया है।
नासा का परसीवरेंस रोवर करीब सात महीने की यात्रा के बाद 18 फरवरी को मंगल ग्रह पर पहुंचा था।
इससे पहले अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ तथा भारत को मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यान भेजने में कामयाबी मिल चुकी है।
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मंगल ग्रह पर चीन का पहला रोवर सफलतापूर्वक उतारने के लिए सीएनएसए को बधाई दी।
इस अंतरिक्ष यान ने करीब सात महीने की यात्रा के बाद फरवरी में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था और ग्रह पर उतरने के लिये संभावित स्थानों की पहचान करने में दो महीने से ज्यादा का वक्त बिताया।
शनिवार तड़के अंतरिक्ष यान ने अपनी निर्धारित कक्षा से नीचे उतरना शुरू किया और लैंडर तथा रोवर ऑर्बिटर से अलग हो गए।
करीब 3 घंटे की यात्रा के बाद एंट्री कैप्सूल 125 किलोमीटर की ऊंचाई पर मंगल ग्रह के वातावरण में घुस गया।
मंगल ग्रह की सतह से करीब 100 मीटर की ऊंचाई पर उसे बाधाओं का सामना करना पड़ा लेकिन उसने बाधाओं से बचते हुए एक सतही इलाके को चुना और धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा।