झारखंड में छोटे स्कूलों के बंद होने से शिक्षक कर्मचारियों के सामने भूखमरी की समस्या

Newswrap

रांची: आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव सह गोमिया विधायक लंबोदर महतो ने कहा है कि विगत 15 महीनों से कोरोना महामारी के कारण सभी छोटे-छोटे निजी विद्यालय पूर्णतया बंद हैं।

ऐसे स्कूलों के शिक्षक कर्मचारियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

उन्होंने कहा कि ऐसे स्कूलों में अध्ययनरत अधिकांश बच्चे गरीब, दलित एवं पिछड़े वर्ग से आते हैं।

इनके पास ऑनलाइन कक्षा के लिए आवश्यक उपकरण ( मोबाइल फोन, लैपटॉप ) आदि उपलब्ध नहीं हैं।

परिणामस्वरूप विद्यालय प्रबंधन के लाख प्रयास के वावजूद इनकी पढ़ाई संभव नहीं हो रही है। वहीं, अभिभावकों का भी गरीब वर्ग से आना एवं शिक्षा के प्रति उदासीन रवैये के कारण विद्यालय शुल्क का भुगतान पिछले शैक्षणिक सत्र से ही रुका हुआ है।

स्थिति इस कदर खराब हो चुकी है कि 15 महीनों से बिना वेतन के इन स्कूलों में कार्यरत कर्मचारियों एवं संचालकों के समक्ष भूखमरी की समस्या आन पड़ी है।

उन्होंने ऐसे स्कूल संचालकों को आर्थिक सहायता देने की मांग राज्य सरकार से की है।

उन्होंने शुक्रवार को कहा कि जहाँ एक ओर परिवार का भरण-पोषण करना कठिन हो गया है। वहीं बैंकों के ऋणों का भुगतान, वाहनों के किश्त, बिजली बिलों का भुगतान कोढ़ में खाज वाली कहावत चरितार्थ करती है।

वर्तमान समय में स्कूलों के बंद रहने के कारण ऋणों का भुगतान करना काफी कठिन है और बैंक एवं प्राइवेट लोन देने वाली कंपनियों के द्वारा लगातार किश्तों के भुगतान के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

साथ ही साथ ब्याज के ऊपर ब्याज जोड़ने का काम काम किया जा रहा है, जिससे हमसभी लोग मानसिक प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं।

ऐसे में राज्य सरकार विद्यालयों के पूर्ण रूप से प्रारंभ होने तक तत्काल सभी कर्मचारियों को न्यूनतम पाँच हजार रुपये मासिक सहायता राशि देने के साथ-साथ सभी प्रकार के ऋणों, यथा- बैंक ऋण, वाहन ऋण एवं अन्य ऋणों के अलावा बिजली बिल के भुगतान पर ब्याज में छूट देते हुए रोक लगाने का काम करें जिससे सभी संचालकों को मानसिक राहत मिल सके।