रांची : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व चीफ मिनिस्टर रघुवर दास (Raghuvar Das) को राज्य की राजनीति से काटकर ओडिशा का गवर्नर (Governor of Odisha) बनाए जाने की चर्चा सियासी गलियारों में तरह-तरह से की जा रही है।
इस चर्चा के कई मायने निकाले जा सकते हैं। क्या यह निर्णय ओडिशा की राजनीति (Odisha Politics) को केंद्र में रखकर किया गया है अथवा झारखंड में पार्टी की आपसी खींचतान को कम करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
रघुवर बने थे झारखंड का पहला गैर आदिवासी मुख्यमंत्री
यदि झारखंड की सियासत को केंद्र में रखकर ध्यान से समझें तो स्पष्ट होगा कि साल 2014 में बड़ा साहस दिखाते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने गैर आदिवासी रघुवर दास को पहली बार चीफ मिनिस्टर बनाया।
इस कदम से आदिवासी नेताओं की ताकत कमजोर हुई। 5 साल तक रघुवर शासन में रहे, मगर इस बीच पार्टी कमजोर हुई और 2019 में पार्टी ही नहीं वह स्वयं भी विधानसभा की अपनी सीट नहीं बचा सके।
इसके बाद उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था। 2019 में मामूली अंतर से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा खूंटी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर केंद्र में मंत्री बने, लेकिन झारखंड की राजनीति के प्रति उनका लगाव बराबर बना हुआ है।
इसी बीच बाबूलाल मरांडी की पार्टी का भाजपा में विलय होता है और बाद में उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाती है। वास्तव में यह न अर्जुन मुंडा को अच्छा लगा और न रघुवर दास को इसलिए अब पार्टी ने रघुवर दास को झारखंड से अलग किया।
इस संभावना पर लगा विराम
चंद दिन पहले तक यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देगी। चर्चा थी कि उन्हें रांची या चतरा से लोकसभा का चुनाव लड़वाया जा सकता है, लेकिन राज्यपाल बनाए जाने के बाद इन सभी संभावनाओं पर विराम लग चुका है।
क्या सरयू राइटिंग भाजपा में हो सकती है वापसी
चर्चा चल रही है कि रघुवर दास की विदाई से उनके खेमे में निराशा है। रघुवर के कंधे के सहारे लोकसभा और विधानसभा चुनावों में टिकट की उम्मीद लगाए नेताओं की टेंशन बढ़ गई है।
उधर भाजपा के दूसरे खेमों में खुशी का माहौल है। रघुवर के जाने से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा गुट के नेताओं में एक बार फिर उम्मीद जगी है।
जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय और उनके समर्थकों के चेहरे भी खिल गए हैं। प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के गुट के भी नेताओं और कार्यकर्ताओं के चेहरे में चमक आ गई है।
रघुवर दास के ओडिशा जाने के बाद कोल्हान प्रमंडल में भाजपा में बड़ा बदलाव होने की संभावना दिख रही है। कहा जा रहा है कि जल्द ही सरयू राय (Saryu Rai) की भाजपा में वापसी हो सकती है।