रांची : झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र (Chief Justice Sanjay Kumar Mishra) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में बुधवार को रांची मेयर (Ranchi Mayor) का पद अनुसूचित जनजाति (ST) से हटाकर अनुसूचित जाति (SC) के लिए रिजर्व करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार और चुनाव आयोग ने इस आदेश को वापस ले लिया और ट्रिपल टेस्ट की बात कही है।
याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। खंडपीठ ने याचिका वापस लेने की अनुमति प्रदान की।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने पैरवी की
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने पैरवी की।
याचिका में उनकी ओर से कहा गया था कि शेड्यूल एरिया में नगर निकाय चुनाव में मेयर या अध्यक्ष या नगर पंचायत अध्यक्ष का पद सिर्फ आदिवासियों के लिए ही आरक्षित हो सकता है , गैर आदिवासियों के लिए यह पद नहीं हो सकता है।
इसे लेकर लक्ष्मीनारायण मुंडा ने याचिका दायर की थी।
इसमें उन्होंने कहा था कि पांचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित जिले में मेयर या अध्यक्ष का पद ST के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है लेकिन नियमों का उल्लंघन करते हुए इस बार राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा SC के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
OBC को आरक्षण प्रदान करने की तीन जांच अर्हताएं तय की
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राहुल रमेश बाघ बनाम महाराष्ट्र सरकार के मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकारों द्वारा बिना ट्रिपल टेस्ट कराये OBC को चुनाव में आरक्षण नहीं देने से संबंधित आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में होने वाले पंचायत और नगर निकाय चुनाव में OBC को आरक्षण प्रदान करने की तीन जांच अर्हताएं तय की हैं।
आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी
इसके मुताबिक पिछड़े वर्ग के लोगों की सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक स्थिति मालूम करने के बाद ही आरक्षण तय किया जायेगा।
आयोग विस्तृत और व्यावहारिक डाटा के आधार पर निकायों में OBC के प्रतिनिधित्व का निर्धारण करेगा।
हालांकि, इसके लिए कुछ आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं होगी।
निकायों में ST-SC को मिलने वाले आरक्षण को 50 फीसदी की सीमा से घटाते हुए शेष सीटों पर OBC को आरक्षण मिलेगा।
कैबिनेट द्वारा ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठित करने का फैसला
इधर, झारखंड में नगर निकाय चुनाव के लिए OBC या पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिए ‘ट्रिपल टेस्ट’ शुरू किया जाना है।
कैबिनेट द्वारा ट्रिपल टेस्ट के लिए आयोग गठित करने का फैसला ले लिया गया है।
आयोग द्वारा पंचायत और निकाय चुनाव में OBC को आरक्षण देने के लिए थ्री लेयर टेस्ट करेगा, OBC का सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण कर आयोग आरक्षण की सीमा तय करेगा।