रांची: राज्य के पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि आपके नेतृत्व में झारखंड सरकार बने दो वर्ष हो गये
इस अवधि में मैंने भ्रष्टाचार के कतिपय गंभीर मुद्दों के बारे में ठोस प्रमाण देकर आपको अवगत कराया है। आरम्भ में आपने इनका संज्ञान लिया।
मेनहर्ट घोटाला के नाम से कुख्यात रांची शहर के सिवरेज-ड्रेनेज योजना में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने का आदेश आपने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को दिया।
कंबल घोटाला की जांच का आदेश हुआ। मोमेंटम झारखंड के नाम पर हुए सरकारी धन की लूट की जांच कराने की बात आगे बढ़ी।
झारनेट 2.0 योजना की बदहाली में पूर्ववर्ती सरकार के मुख्यमंत्री की भ्रष्ट भूमिका के प्रमाण मैंने सामने लाया। कौशल विकास एवं नियोजन के फर्जीवाड़ा का भी मैंने पर्दाफाश किया।
राज्य स्थापना दिवस समारोह-2016 के अवसर पर टॉफ़ी-टी-शर्ट की ख़रीद एवं सुनिधि चौहान का कार्यक्रम आयोजित करने में तत्कालीन मुख्यमंत्री सचिवालय की संलिप्तता के कारण लाखों रूपये के सरकारी धन का वारा-न्यारा होने के ठोस प्रमाण मैंने उपलब्ध कराया। इस बारे में विधान सभा बातों पर सरकार में अमल हुआ।
मेनहर्ट घोटाला की जांच एसीबी से कराने का आपका आदेश एक साल पहले हुआ। लेकिन यह आदेश एफआईआर कर जांच करने का नहीं हुआ बल्कि प्रारम्भिक जांच करने का हुआ।
जहां तक मेरी जानकारी है, जांच पदाधिकारियों के समूह ने इसकी गहन जांच कर कई माह पूर्व जांच प्रतिवेदन सौंप दिया है। जांच में मुख्य अभियुक्त एवं अन्य दोषी चिन्हित हो गये हैं।
पटल पर आपने एसीबी जांच कराने का आश्वासन भी दिया।
इसी मामले में झारखंड हाई कोर्ट में दायर एक मुक़दमा में सरकार के अधिवक्ता सुनवाई कर रही खंडपीठ को बार बार आश्वस्त कर रहे हैं कि सरकार इस मामले में कारवाई करने जा रही है।
लेकिन न तो विधान सभा में दिया गया आपका आश्वासन अबतक पूरा हुआ और न ही हाईकोर्ट में कही गईदोषियों को उनका पक्ष रखने का मौक़ा भी दे दिया गया है।
लेकिन एफआईआर दर्ज कर उनके विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई करने का मामला सरकारी संचिका में धूल फांक रहा है।
इस मामले के जितने प्रमाण मैंने सरकार को उपलब्ध करा दिया है वे मुख्य अभियुक्त एवं अन्य पर दंडात्मक कार्रवाई करने के लिये पर्याप्त हैं, फिर भी इसमें प्रारम्भिक जांच करने का आपका आदेश हुआ।
पता नहीं क्यों सरकार इस मामले में ढुलमुल रवैया अपना रही है। सरकार की सुस्ती के कारण गंभीर अपराध करने वालों का मनोबल बढ़ा है।
वे जेल जाने का इंतज़ार करने की बात कहते हुए खुलेआम कानून को चुनौती दे रहे हैं। अनुरोध है कि भ्रष्टाचार के इन ज्वलंत मामलों पर एवं ऐसे अन्य मामलों पर अविलंब कारवाई करें।
ऐसी नौबत न आये कि जो कार्रवाई सरकार को करनी चाहिये उसके लिये हमें न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने के लिये मजबूर होना पड़े।