रांची: प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे और राजेश गुप्ता ने कहा कि भाजपा मुख्य चुनाव हारकर सत्ता से बेदखल हो चुकी है।
तीन उपचुनाव भी हारकर हताश हो गई है, तो अब अलोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल कर एक चुनी हुई गठबंधन की सरकार को अस्थिर करना चाह रही है।
इसमें भाजपा माइंस लीज मामले को एक हथियार के रुप में इस्तेमाल कर रही है जिसकी हम कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हैं।
दोनों नेताओं ने सोमवार को प्रेसवार्ता में कहा कि राज्य मे इन दिनों संविधान का अनुच्छेद 192 काफी चर्चा में है और सुर्खियां भी बटोर रहा है।
ऐसा इसलिए कि राज्यपाल ने संविधान के इसी अनुच्छेद से प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन माइनिंग लीज प्रकरण मामले मे चुनाव आयोग से मंतव्य मांगने की कार्रवाई की है।
इस संबंध संविधान के अनुच्छेद को हूबहू उद्धृत करना प्रासंगिक होगा। खण्ड (एक) में यदि यह प्रश्न उठता है कि किसी राज्य के विधान मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य अनुच्छेद 191 के खण्ड (एक) मे वर्णित किसी निरहर्ता से ग्रस्त हो गया है या नहीं, तो यह प्रश्न राज्यपाल को विन्श्चय के लिए निर्देशित किया जायेगा और उसका विन्श्चय अंतिम होगा।
इसमें यह साफ है कि अनुच्छेद 192 के प्रावधान अनुच्छेद 191 (एक) में वर्णित निरहर्ता (डिसक्वालीफिकेशन) की पांच स्थितियों से जुड़े हुए हैं। दूसरी यह बात भी स्पष्ट है कि ऐसा मामला राज्यपाल को निर्देशित किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि तीसरी बात यह है कि राज्यपाल का एक्शन लेना होगा। किन किन स्थितियों मे विधान मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य निरहिर्त (डिसक्वालीफाई) होगा।
उसका उल्लेख अनुच्छेद 191 (एक) के पांच बिन्दु में दिया गया है, जिसमें पहला है यदि वह कोई लाभ का पद धारण करता है।
दूसरा यदि वह विकृतचित है और ऐसा सक्षम न्यायालय से घोषित हो। तीसरा यह वह दिवालिया हो गया है।
अब इन्हीं पांच स्थितियों में किसी सदस्य की निरहर्ता पर कोई सवाल खड़ा होने पर मामला विन्श्चय के लिए राज्यपाल को निर्देशित करने की बात अनुच्छेद 192 (एक) में कही गयी है।
एक प्रश्न के जवाब में आलोक दूबे ने कहा कि राजनीति हो या सामाजिक क्षेत्र हर व्यक्ति को अपने जीवन यापन करने का पूरा अधिकार है।