रांची: झारखंड हाई कोर्ट से सोमवार को सरायकेला-खरसावां के जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) को राहत मिल गई है।
उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने का आदेश दिया गया है। उनका दावा है कि जुर्माने की राशि मांगने पर शिकायतवाद दर्ज कराई गई।
हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में सोमवार को जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) के के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत डीएमओ के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया। इस संबंध में सरायकेला-खरसावां के जिला खनन पदाधिकारी सनी कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अपराजिता भारद्वाज और राहुल कुमार ने अदालत को बताया कि इस मामले में निचली अदालत ने प्रियांक दुबे की शिकायतवाद पर डीएमओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है।
सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया
इसमें कहा गया है कि डीएमओ ने बालू से लदे दो ट्रैक्टर जब्त किया था। इसको छोड़ने के एवज में पचास हजार रुपये मांगे।
इस दौरान प्रियांक दुबे के साथ दुर्व्यवहार करते हुए डीएमओ पर उन्हें थप्पड़ मारने का आरोप है।
वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने बिना मेरिट पर विचार किए ही प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
लघु खनिज नियमावली के प्रावधानों के अनुसार यदि किसी वाहन पर पूर्व में केस दर्ज है तो पचास हजार रुपये जुर्माना जमा करने पर ही वाहन को मुक्त किया जा सकता है।
डीएमओ ने जुर्माने की राशि मांगी थी। यह पूरा मामला दुर्भावना से प्रेरित है। इनके खिलाफ प्राथमिकी और आपराधिक कार्रवाई बदला लेने की नीयत से किया गया है।
इसके अलावा एमएमडीआर एक्ट की धारा 27 के तहत अधिकारियों को प्रोटेक्शन प्राप्त है, इसलिए डीएमओ के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त किया जाए।
सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया। अदालत ने डीएमओ को राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया।