रांची: भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद रवीन्द्र राय ने राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला है।
उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि राज्य में प्रायोजित तरीके से जातीय, भाषाई, बाहरी-भीतरी का उन्माद पैदा किया जा रहा है।
रांची से पार्टी के कार्यक्रम में धनबाद जाने के क्रम में उनकी कार पर सोची समझी साजिश के तहत 30 जनवरी को बोकारो में हमला हुआ।
इस तरह से सड़कों पर महिलाएं साफ सुथरे कपड़ों में भाषाई संघर्ष समिति के बैनर तले बच्चों संग उतरी थीं, वह सामान्य बात नहीं।
साफ दिख रहा था कि सारी घटना के पीछे प्रायोजित और संगठित ताकतें लगी हैं। सरकार दोमुंही राजनीति कर रही है।
राय सोमवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के आंदोलन के दौरान बोकारो में राय पर हमला हुआ था।
उन्होंने कहा कि हमले के दौरान वहां का दृश्य मॉब लिंचिंग की तरह हो गया था। अगर वह वहां से नहीं भागते, तो कुछ भी हो सकता था।
सबसे ज्यादा संकट में उनके बॉडीगार्ड थे। किसी तरह भागकर थाने में पहुंचकर उन्होंने जान बचाई। झारखंड के राजनीतिक गलियारे में अंधेरा फैला कर सत्ता के जरिए जनता को धोखा दिया जा रहा है।
झारखंड बनने के बाद बोकारो में ही सामाजिक तनाव पैदा करने का पहला प्रयास हुआ था। उसके बाद रविवार को सामाजिक ताना-बाना को तोड़ने का प्रयास हुआ।
झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के आंदोलन के नाम पर सैकड़ों उपद्रवी सड़कों पर थे। राय ने कहा कि आंदोलन के पीछे संगठित शक्ति काम कर रही थी।
सैकड़ों महिलाएं अपने बच्चों के साथ सड़कों पर थीं और सैकड़ों उपद्रवी किस्म के युवा मानव श्रृंखला में मौजूद थे। इतनी संख्या में लोग सड़कों पर थे और पुलिस चुपचाप थाने में बैठी हुई थी।
एक तो उचक्कों को आंदोलन के लिए उकसा रही है और दूसरा प्रशासन को आराम करवा रही है। स्थानीय प्रशासन को सड़कों पर हजारों की तादाद में उतरे लोगों के बारे में भनक तक नहीं थी।
जानबूझ कर उपद्रवियों को सड़कों पर असंवैधानिक हरकत करने की आजादी दी गयी थी। अपने खिलाफ नारेबाजी भी सरकार में शामिल दलों ने ही कराया।
अगर ऐसा नहीं है तो सरकार इस मामले पर सामने आकर अपना स्टैंड क्लियर करे। झामुमो और कांग्रेस की सरकार इस घटना की जिम्मेवारी लेने से भाग नहीं सकती। इन घटनाओं के पीछे कहीं ना कहीं सरकार का संरक्षण है।
उन्होंने कहा झारखंड को मूल मुद्दों से भटकाने की यह सरकार कोशिश कर रही है। राज्य के चार जिले बोकारो, धनबाद, रांची और जमशेदपुर राजनीतिक ज्वालामुखी के मुहाने पर हैं और इन्हें बीच-बीच में अशांत करने की कोशिश हो रही है। एक तरफ सरकार मॉब लिंचिंग का कानून बनाती है दूसरी तरफ इसके लिए वह आदर्श स्थिति बना रही है।
प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने कहा कि रवींद्र राय के साथ दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। उनसे बड़ा खतियानधारी इस राज्य में कोई नहीं होगा। सरकार को चाहिए कि इस मामले की पड़ताल कर दोषियों को चिन्हित किया जाये और उन्हें सजा दिलाये।