रांची: Jharkhand के 34 नगर निकायों (Municipal Bodies) में लगभग 674 जनप्रतिनिधियों (Public Representatives) का कार्यकाल 28 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा।
कार्यकाल खत्म होते ही मेयर, डिप्टी मेयर, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षदों सभी अधिकार छिन जायेगा। अब नगर निकायों में अफसरों के जिम्मे सारे कार्य होंग।
जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) बनवाना हो या मुहल्ले में पानी या कूड़े की समस्या हो, सभी कामों के लिए अफसरों के पास लोगों को जाना होगा। दफ्तरों के चक्कर लगाने पडेंगे।
लोगों को परेशानी तब तक झेलनी होगी, जब तक इन नगर निकायों के लिए चुनाव संपन्न होकर बोर्ड का गठन नहीं हो जाता।
झारखंड में नगर निकाय चुनाव फिलहाल नहीं कराने के निर्णय के बाद राज्य के सभी 48 नगर निकाय 30 अप्रैल के बाद से अफसरों के हवाले हो जाएंगे।
क्यों 30 अप्रैल के बाद उनके पास कोई काम नहीं होगा। यही वजह है कि रांची की मेयर और डिप्टी मेयर ने सरकार और महामहिम से निकाय चुनाव में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है।
वहीं सभी जनप्रतिनिधियों के कार्यकाल को विस्तार देने की मांग की है जिससे कि जनता की समस्याओं का वे समाधान कर सके।
निकायों के चुनाव कब होंगे
निकायों के चुनाव कब होंगे, यह फिलहाल तय नहीं है। राज्य सरकार ने फैसला किया है कि नगर निकायों के चुनाव अब OBC रिजर्वेशन के आधार पर कराए जाएंगे।
रिजर्वेशन का प्रतिशत तय करने के लिए सरकार सभी स्थानों पर ट्रिपल टेस्ट सर्वे कराएगी। रिजर्वेशन तय होने के बाद चुनाव कराने का शेड्यूल तय किया जाएगा।
इस प्रक्रिया में यह पूरा साल गुजर सकता है। बताते चलें कि राज्य के 15 नगर निकायों का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है।
पहले COVID और बाद में कुछ अन्य वजहों का हवाला देकर इनके चुनाव वर्ष 2020 के बाद से ही टाले जाते रहे।
अब बाकी 34 निकायों का कार्यकाल भी 28 से लेकर 30 अप्रैल को खत्म हो रहा है।
बिना OBC आरक्षण के चुनाव कराने का प्रस्ताव तैयार किया था
नगर विकास विभाग ने वर्ष 2023 में बिना OBC आरक्षण के राज्य के 48 नगर निकायों में चुनाव कराने का प्रस्ताव तैयार किया था।
नगरपालिका अधिनियम 2011 में संशोधन करने के बाद आरक्षण रोस्टर में भी बदलाव किया गया था। इसका काफी विरोध भी हुआ।
मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। इस बीच बीते 16 मार्च को राज्य सरकार के कैबिनेट की बैठक में नगर विकास विभाग की अधिसूचना को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में ट्रिपल टेस्ट के बाद निकाय चुनाव कराने का निर्णय लिया गया।