रांची: रांची में अंतर्राष्ट्रीय खनिज दिवस के अवसर पर होटल रैडिसन ब्लू में शनिवार को इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से चौथे आईसीसी माइनिंग कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया।
इसमें खनन क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों और बाधाओं पर विचार-विमर्श किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि ऑटोमेशन भारत के खनन को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है।
स्वचालन और डिजिटलीकरण को सबसे अधिक परिभाषित खनन उद्योग प्रवृत्तियों के रूप में जाना जाता है। इसका उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाने और खनन उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ने दुनिया भर में कई उद्योगों को बदल दिया है और कंपनियों के कार्य करने के तरीके को बदल दिया है।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में खनन उद्योग का योगदान (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस को छोड़कर) 2018-19 में केवल 2-3 प्रतिशत है, जो भारत की वास्तविक क्षमता के विपरीत है। यह तब है जब यह देश भूगर्भीय रूप से समृद्ध है।
सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय रूप से अधिक योगदान भारत के पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सपने को प्राप्त करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।
दक्षिण अफ्रीका जैसी अर्थव्यवस्थाओं में इसे देखा गया है। वहां खनन ने सकल घरेलू उत्पाद में 7.5 प्रतिशत का योगदान दिया है, और ऑस्ट्रेलिया जहां यह सकल घरेलू उत्पाद में 6.99 प्रतिशत है। नयी तकनीक का प्रयोग बढ़ाने की जरूरत है।
मौके पर पूर्व होम सेक्रेट्री एनएन पांडेय ने कहा कि भारतीय खनन क्षेत्र को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये दुनिया के दूसरे देशों से अच्छे उदाहरणों को इकट्ठा करना होगा।
उन्हें अपनी खनन प्रक्रिया में लागू करने की जरूरत है। एआई, आईओटी और डिजिटलीकरण के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना समय की मांग है।
सरकारी नीतियों में उत्पादकता बढ़ाने और जोखिम को कम करने के लिए नई तकनीकों और डिजिटलीकरण के उपयोग को शामिल किया जाना चाहिए।
मौके पर मेकॉन के सीएमडी सलिल कुमार, आईसीसी झारखंड राज्य परिषद के अध्यक्ष अभिजीत घोष, आईसीसी के महानिदेशक डॉ. राजीव सिंह सहित कई अन्य विशेषज्ञों ने भी अपनी राय रखी।