रांची: स्थानीय नीति, भाषा संस्कृति एवं भोजपुरी, मगही, मैथिली झारखंड में अंगिका के रूप में लागू करने के विरोध में गुरुवार को विभिन्न आदिवासी, मूलवासी संगठनों ने अलबर्ट एक्का चौक पर मुख्यमंत्री का पुतला जलाया।
संगठन के लोगों ने कहा कि इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी गई थी। इसके बावजूद भी हम लोगों को अल्बर्ट एक्का चौक जाने से रोका गया। इसकी हम निंदा करते हैं।
इस मौके पर पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि झारखंड बना झारखंडयों के लिए न की बाहरियों के लिए। आदिवासी नेता सत्ता पर चले जाने के बाद बिल्कुल बदल जाते हैं। यहां भोजपुरी, मगही, मैथिली नहीं चलेगी। सिर्फ झारखंडी भाषा चलेगी।
उन्होंने कहा कि झारखंड में बाहरी भाषा थोपी जाएगी तो उलगुलान होगा। सरकार को हमारी बातों को सुनना होगा। उन्होंने कहा कि यह सरकार तानाशाह की तरह काम कर रही है। अब हम लोग रुकने वाले नहीं हैं।
आगे की रणनीति को लेकर के व्यापक बैठक 31 जनवरी को तेतर टोली मोराबादी में आयोजित की गयी है। इसमें आर पार की लड़ाई की रणनीति तय की जाएगी।
इस मौके पर आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा, केंद्रीय सरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के रांची जिला अध्यक्ष कुंदरशी मुंडा, क्रिस्टो कुजूर, लाला महली आदि मौजूद थे।