Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बलात्कार (Rape) मामले में दर्ज FIR को रद्द किया, क्योंकि मामले में कथित घटना के 34 साल बाद केस दर्ज कराया गया था।
मामले की सुनवाई कर रहे Supreme Court के जज जस्टिस B.R. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच गुवाहाटी हाईकोर्ट (Guwahati High Court) के पारित आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी।
दरअसल, मामले में, 4 दिसंबर 2016 को पीड़िता के बेटे ने FIR दर्ज कराई थी।
FIR में पीड़िता ने कहा…
FIR में पीड़िता ने कहा था कि जब वह 15 साल की थी, तब अपीलकर्ता ने उसके साथ रेप किया था। इसके बाद वह गर्भवती (Pregnant) हो गई थी और 7 अप्रैल 1983 को एक बच्चे को जन्म दिया।
मामले में FIR दर्ज होने के बाद मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई। हालांकि मामले में सुनवाई करने वाले मजिस्ट्रेट ने पीड़िता के बेटे की याचिका को खारिज कर आदेश दिया कि पुलिस रिपोर्ट के आधार पर संज्ञान लिया जाए।
मामले से परेशान होकर अपीलकर्ता बेटे ने हाईकोर्ट के सामने अर्जी दायर की। High Court ने भी याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद बेटे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
हालांकि मामले में पीड़िता ने FIR में कहा है कि अपराध के समय वह नाबालिग थी, भले ही इस सहमति से कहा गया हो लेकिन IPC की धारा 376 के तहत अपराध बनाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने जांच के बाद जांच अधिकारी द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट देखी और पाया कि पीड़िता और उसके बेटे ने भी बयान दर्ज कराया था। बयान में याचिकाकर्ता के बेटे ने स्वीकार किया कि अपीलकर्ता उस अपने बेटे के रूप में नकद धन और अन्य सुविधाएं प्रदान कर रहा था।
वहीं फाइनल रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल अपीलकर्ता जिनका नाम सुरेश गरोडिया है, उनकी संपत्ति के लालच के कारण पीड़िता ने अपने याचिकाकर्ता बेटे के साथ मिलकर 34 साल के बाद प्राथमिकी दर्ज की है।