नई दिल्ली : दिल्ली से मेरठ के बीच प्रस्तावित रैपिड रेल में रिजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा।
इससे ब्रेक लगाने पर ऊर्जा पैदा होगी। ट्रेन के डिजाइन में इसका ध्यान रखा जाएगा। 2023 तक दिल्ली मेरठ के एक फेज पर ट्रेन दौड़ने लगेगी।
दिल्ली मेरठ के लिए रैपिड रेल का काम प्रगति पर है। गाजियाबाद में पहले चरण का ट्रेन परिचालन 2023 तक शुरू हो जाएगा।
ट्रेन परिचालन में नई तकनीक पर फोकस किया गया है। ट्रेन में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि नई ट्रेन ऊर्जा कुशल हो और कम ऊर्जा खर्च करें।
इस ट्रेन की एक प्रमुख विशेषता इसका रिजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस होना होगा। ट्रेन में ब्रेक का प्रयोग करने पर बिजली पैदा होती है।
यह बिजली ग्रिड में चली जाएगी। इससे हर बार ब्रेक लगाने पर ऊर्जा की बचत होगी। रिजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से ट्रेन द्वारा प्रयोग किए जाने वाली लगभग 30 प्रतिशत बिजली की खपत कम हो जाएगी।
केवल रिजेनेरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के इस्तेमाल से सालाना बिजली की काफी बचत होगी।
यह व्यवस्था लागू करने से ट्रेन के पहिये, ब्रेक पैड और ट्रेन (रोलिंग स्टॉक) के पुर्जे कम खराब होते हैं।
इससे रखरखाव पर कम खर्च होगा और स्पेयर पार्ट निर्माण के दौरान उत्पन्न होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड में भी कमी आएगी। रैपिड ट्रेन में एक बार में लगभग 1700 लोग यात्रा कर सकेंगे।
ट्रेन में एक बार में करीब 400 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। इसके साथ डिब्बों को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि खड़े होकर भी ट्रेन में आरामदायक सफर किया सके।
अध्ययन के मुताबिक रैपिड रेल चलने पर सड़क पर लगभग एक लाख गाड़ियां कम हो जाएंगी, जिससे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के प्रदूषण में भारी कमी आएगी।
इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में भी पर्याप्त कमी आएगी और ग्रीन हाउस इफेक्ट कम होगा।